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सूरह मुल्क क्या हैं? इसके पढ़ने के क्या क्या फायदे हैं?

सूरह मुल्क क्या हैं? इसके पढ़ने के क्या क्या फायदे हैं?


सूरह मुल्क
क़ुरान शरीफ की 67 वीं सूरह हैं यह क़ुरान शरीफ के 29 वें पारे में मौजूद हैं। इस सूरह में कुल 30 आयतें हैं। इस सूरह में कुल शब्दों की संख्या 337 तथा कुल अक्षरों की संख्या 1316 है। सूरह मुल्क मक्का में नाज़िल हुई थी इसलिए इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। 

सूरह मुल्क में किस बात पर ज़ोर दिया गया हैं? 

इस सूरह में अल्लाह ने इस बात पर ज़ोर दिया हैं की कोई भी इंसान अपनी मनमानी नहीं कर सकता यानि इंसान अपनी इच्छा दूसरे लोगों पर थोप नहीं सकता। उससे ज़बरदस्ती काम नहीं करवा सकता। वह सिर्फ हुक्म दे सकता हैं। अगर कोई हुक्म नहीं माने तो कोई उससे ज़बरदस्ती नहीं कर सकता।

सूरह मुल्क पढ़ने के क्या फायदे हैं?

  • क़यामत के दिन सूरह मुल्क पढ़ने से आपके गुनाह माफ़ हो जाते हैं।
  • एक हदीस के मुताबिक पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने लोगों से हर रात को बिस्तर पर जाने से पहले सूरह मुल्क को पढ़ने की नसीहत दी थी उन्होंने कहा था की ऐसा करने से आपको कब्र के अज़ाबों से निजात मिलेगी।
  • सूरह मुल्क पाबन्दी से पढ़ने वाले शख्स के लिए जन्नत के दरवाज़े खुल जाते हैं। 
  • सूरह मुल्क रोज़ाना पाबन्दी से पढ़ने वाला शख्स अल्लाह की तरफ से इनाम का हक़दार होगा। 
  • सूरह मुल्क हमारे ईमान की हिफाज़त करती हैं और हमें सही रास्तों पर जाने की नसीहत देती हैं। 
  • जो शख्स हर रात को सूरह मुल्क पढ़ कर सोयेगा उसकी हिफाज़त एक फरिश्ता करेगा वह रात भर उसे बुरे वसवसे से बचाएगा। 
  • सूरह मुल्क पढ़ने वाला शख्स कभी गुमराह नहीं होगा अल्लाह उसे गुमराही से बचाएगा।
  • सूरह मुल्क पढ़ने से आपकी दुआ जल्द कबूल होती हैं। 
  • ज़िन्दगी में हौसला बढ़ाने के लिए रोज़ाना सूरह मुल्क की तिलावत किया करे। 
  • सूरह मुल्क को पढ़ने से आपका दिल और दिमाग शांत रहता है दिमाग से टेंशन निकल जाती हैं और ज़िन्दगी में खुशहाली आती हैं।

सूरह मुल्क को कैसे याद किया जाये?

वैसे तो क़ुरान की कोई भी आयत या सूरह को याद करना मुश्किल नहीं हैं। हर सूरह को याद करना आसान हैं बशर्ते आप का दिल और दिमाग सिर्फ अल्लाह की तरफ होना चाहिए। क़ुरान की हर सूरह को अगर कोई शख्स दिल से पढता हैं तो वह सूरह उसको अपने आप याद हो ही जाती हैं। फिर भी हम आपको बता देते हैं की सूरह मुल्क को याद कैसे कर सकते हैं? सबसे पहले तो सूरह मुल्क पढ़ने का एक वक़्त तय कीजिये ऐसा वक़्त जिसमे आपके दिमाग में कोई दूसरी चीज़ न चल रही हो। ज़्यादातर ऐसा वक़्त रात में होता हैं या सुबह जल्दी का वक़्त होता हैं फिर भी आप अपनी सहूलियत के हिसाब से ऐसा कोई एक वक़्त निकाल लें। उस वक़्त पर रोज़ाना सूरह मुल्क की तिलावत करे और उसकी हर लाइन को धीरे धीरे तसल्ली से पढ़े। इंशाल्लाह आपको सूरह मुल्क जल्द ही याद हो जाएगी। इसके अलावा आप दिन में कभी भी सूरह मुल्क को सुना करे इससे आपको इस सूरह को याद करने में और आसानी हो जाएगी।

सूरह मुल्क हमें क्या शिक्षा देता हैं?

सूरह मुल्क में बहुत सारी अच्छी बातें बताई गयी है लेकिन इसके साथ साथ उसमें इंसानो के लिए एक सबक भी बताये गए हैं। सूरह मुल्क में बताया गया हैं की अल्लाह ही इस दुनिया का मालिक हैं। अल्लाह ने ही इस दुनिया को बनाया हैं। उसी के सहारे ये दुनिया चल रही हैं। हवा पानी खाना सभी का इंतेज़ाम वही कर रहा हैं। अगर वो नाराज़ हो गया तो पल भर में इस दुनिया को तबाह कर सकता हैं। सूरह मुल्क इंसानो को यह नसीहत देता हैं की वह अल्लाह के बताये रास्तों पर चले और गलत कामों से बचे नहीं तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। कुलमिलाकर सूरह मुल्क में ये हिदायत दी गयी है की अल्लाह ही सबका मालिक हैं। इंसानो को उसके बताये हुक्मो का पालन करना चाहिए नहीं तो अल्लाह सब कुछ ख़त्म कर देगा। 

सूरह मुल्क में यह भी बताया गया हैं की जो लोग अच्छा काम करते हैं और दुनिया में रहते अल्लाह से डरते हैं उन्हें इनाम दिया जायेगा और अल्लाह पर उनकी रहमत बरसेगी और जो बुरा काम करेगा उसको सज़ा भी मिलेगी। अल्लाह सूरह मुल्क में ऐसे लोगों को चेतावनी देता हैं जो अल्लाह को नहीं मानते और बुतों की पूजा करते हैं ऐसे लोग भयंकर अज़ाब का शिकार होंगे। 

आखरी नसीहत 

सूरह मुल्क पढ़ कर हमें ये अंदाज़ा तो लग ही जाता हैं की अल्लाह ही सबसे बड़ा हैं इंसान उसके सामने कीड़े मकोड़ो की तरह हैं। अल्लाह चुटकी में इस दुनिया को बना भी सकता हैं और बर्बाद भी कर सकता हैं। आज हम देखते हैं की फला जगह पर भूकंप आया तो हज़ारों लाखों लोग मारे गए आप सोच सकते हैं की पल भर में बड़ी बड़ी इमारतें मिट्टी में मिल जाती हैं। लोग कुछ ही मिनटों में दम तोड़ देते हैं। ऐसी मुसीबतों कभी भी कहीं भी आ सकती हैं इसलिए हमें अपने गुनाहो से माफ़ी मांगना चाहिए। सिर्फ अल्लाह के बताये रास्तों पर चलना चाहिए अगर हम अमीर इंसानों को ही सब कुछ मानने लगेंगे तो अल्लाह हम से नाराज़ हो जायेगा और हम उसके अज़ाब का शिकार कभी भी हो सकते हैं। इसलिए हमें सिर्फ अल्लाह की इबादतों पर ध्यान देना चाहिए। अपने गुनाहो की माफ़ी मांगनी चाहिए। दुनियावी ज़िन्दगी ही सब कुछ नहीं हैं हमें अपनी आख़िरत को भी याद करना चाहिए ताकि हम जहन्नम की अज़ाबो से बच सके।

सूरह मुज़म्मिल पढ़ने के फायदे और उसकी फ़ज़ीलत

सूरह मुज़म्मिल पढ़ने के फायदे और उसकी फ़ज़ीलत

सूरह अल-मुज़म्मिल क़ुरान शरीफ की 73 वीं सूरह हैं और यह क़ुरान शरीफ के 29 वे पारे में मौजुद हैं। ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई थी इसलिए इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। सूरह मुज़्ज़म्मिल में 20 आयतें 227 शब्द और 847 अक्षर हैं। सूरह अल-मुज़म्मिल रात में इबादत करने पर ज़ोर डालता हैं और पूरी तरह से अल्लाह पर भरोसा करना बताता हैं। सूरह मुज़म्मिल इंसान को शांत रहने का भी सन्देश देता हैं। इस सूरह में ये कहा गया हैं की आपको हर काम में सब्र रखना चाहिए चाहे वह कोई भी काम हो सब्र रखने से ही आपको उसका फल मिलता हैं। 

क़ुरान में हर एक सूरह में अलग अलग बातें बताई गयी हैं हर सूरह का अपना अलग मायने हैं। हर सूरह कोई न कोई सन्देश और हिदायत मुसलमानो को देता हैं। इसी तरह सूरह मुज़्ज़म्मिल भी क़ुरान की एक सूरह हैं जिसमें अल्लाह की तरफ से कुछ सन्देश दिया गया हैं। अल मुज़म्मिल एक अरबी शब्द हैं जिसका मतलब होता हैं लिपटा हुआ या ढका हुआ। ये नाम हमारे प्यारे नबी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नामों में से भी एक नाम हैं। सूरह मुज़्ज़म्मिल में अल्लाह की इबादत करने अच्छे काम करने से मिलने वाले सवाब को भी इस सूरह में बताया गया हैं। सूरह मुज़म्मिल में अच्छे काम करने वाले, अल्लाह की इबादत करने वाले लोगों को जन्नत का हक़दार बनने और बुरे काम करने वाले लोगों को जहन्नम की आग में डालने जैसी बातों को भी इसमें बताया गया हैं। अल्लाह ने मुसलमानो को क़ुरान इसलिए दिया ताकि वह हिदायत के रास्ते पर चल सके। 

सूरह मुज़म्मिल क्यों नाज़िल हुई?

अल्लाह ने हमारे नबी को ये सन्देश दिया की आप रात में इबादत करें। क्यूंकि ज़िन्दगी में होने वाली मुसीबतों से सामना करने और कामयाबी हासिल करने के लिए क़ुरान पढ़ना ज़रूरी हैं। दूसरी बात हर मुस्लमान को अपने कमाई से कुछ पैसा गरीबों को देना का आदेश इस सूरह में बताया गया हैं। ये ज़रूरी बातें मुसलमानो को बताने के लिए अल्लाह ने सूरह मुज़म्मिल को नाज़िल किया।

सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने के फायदे और उसकी फ़ज़ीलत क्या हैं?

  • सूरह मुज़्ज़म्मिल हमारे दिल को साफ़ करता है और दिलों में मौजूद बुराई का ख़ात्मा करता है। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से किसी भी तरह की दिमागी बीमारी से आदमी बचा रहता हैं। 
  • एक हदीस के मुताबिक जो शख्स रोज़ाना सूरह मुज़्ज़म्मिल पढता हैं तो उसे उसे हज़रत पैगम्बर से मिलने का मौका मिलेगा।  
  • ये सूरह रोज़ाना पढ़ने से बुरी बलाओं, बुजी नज़रों और अचानक होने वाली मुसीबतों से आपकी हिफाज़त रहती हैं। रात को सोने से पहले सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से ईमान भी मज़बूत रहता है। 
  • रोज़ाना सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से बड़ी से बड़ी मुश्किल से आप निकल सकते हैं। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल रोज़ाना पढ़ने के बाद जो दुआ आप दिल से मांगोगे वो दुआ आपकी कबूल होगी।
  • अगर कोई ईशा की नमाज़ के बाद सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ेगा वह रात भर शैतानी वसवसे से दूर रहेगा कोई उसका कुछ बिगड़ नहीं पायेगा। 
  • ये सूरह पढ़ने से आप दुनियावी ज़िन्दगी में लोगों की गुलामी से बचे रहोगे। 
  • हर इंसान की ज़िन्दगी में रोज़ कोई न कोई परेशानी आती ही रहती हैं। सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से आप ये रोज़ाना होने वाली परेशानी से बचे रहोगे। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने से जान और माल की हिफाज़त रहेगी और माल में भी बरकत होगी और आपकी भी हिफाज़त रहेगी। 
  • जुमेरात के दिन सूरह मुज़्ज़म्मिल 100 मर्तबा पढ़ने से आपके 100 गुनाह माफ़ हो जायेंगे। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने वाला शख्स ज़िन्दगी में कामयाब होने से कभी नहीं कतराएगा मतलब ये सूरह उसे कामयाबी के रास्ते पर ले जाएगी। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल आपको घबराहट और टेंशन से छुटकारा दिलवाएगी इसे पढ़ने से आपका दिल भी मज़बूत होगा। 
  • ये सूरह आपको एक अच्छा मुसलमान बनने के लिए प्रेरित करती हैं। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल पढ़ने वाला शख्स जहन्नम के अज़ाब से होने वाले दर्द से बचा रहेगा कहने का मतलब जब उस शख्स को जहन्नम में उसके गुनाहो को अज़ाब दिया जायेगा तो उस शख्स हो उस अज़ाब से तकलीफ नहीं होगी। 
  • सूरह मुज़्ज़म्मिल ज़ालिम लोगों से लड़ने के लिए आपको सही मार्गदर्शन देती हैं।

सूरह मुज़म्मिल से हमें क्या शिक्षा मिलती हैं?

सूरह मुज़म्मिल हमें बताता हैं की हमें रात में अल्लाह की इबादत करना चाहिए। रात का मतलब सिर्फ सोना नहीं होता, रात में अल्लाह की इबादत करके अपने गुनाहो की माफ़ी मांगना चाहिए और अच्छे मुसलमान बनने के लिए अल्लाह से दुआ मांगना चाहिए। सूरह मुज़म्मिल यह सीख भी हमें देता है की हमें हमेशा सब्र करना चाहिए और अच्छे वक़्त का इंतज़ार करना चाहिए। ये सूरह अच्छे काम पर ज़ोर डालता है और बुरे कामो को करने वाले लोगों को चेतावनी देता हैं। सूरह मुज़म्मिल गरीबो की मदद करने ज़कात देने पर ज़ोर देता हैं और ये बताता हैं की आप को ज़कात देने और गरीबो की मदद करने का सवाब ज़रूर मिलेगा और आप पर अल्लाह की मेहरबानी रहेगी। इसमें यह भी बताया गया हैं की जो शख्स खुदा को नहीं मानता वो अल्लाह की तरफ से सज़ा का हक़दार बनेगा और जहन्नम की आग का शिकार होगा।

आखरी पैगाम 

क़ुरान में मौजूद हर सूरह में हर तरह की मुसीबतों से बचने उनसे लड़ने और एक अच्छी ज़िन्दगी जीने का तरीका बताया गया हैं। हम लोग अगर क़ुरान को पाबन्दी से पढ़ेंगे और उस पर अमल करेंगे तो इंशाल्लाह कोई भी मुसीबत या परेशानी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी। क़ुरान में हर हर चीज़ का इलाज हैं। क़ुरान में मौजूद हर सूरह हमें ज़िन्दगी में आगे बढ़ने और नेक अमल करने का पैगाम देती हैं और हमें गलत काम करने से बचती हैं। लिहाज़ा हम सब को चाहिए की हम पाबन्दी से नमाज़ और क़ुरान को पढ़े और अल्लाह से अपनी मगफिरत की दुआ मांगे। जो मांगना हैं अल्लाह से मांगे अल्लाह आपको हर वो चीज़ देगा जिसकी आपको चाहत हैं। आखिर में हम यही बोलेंगे की अल्लाह हमें पांच वक़्त का नमाज़ी और दीन पर चलने का पाबंद बनाये आमीन।

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ और उसे पढ़ने का तरीका

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ और उसे पढ़ने का तरीका

ईद उल फ़ित्र मुसलमानों के सबसे प्रमुख त्यौहार में से एक त्यौहार हैं। ईद उल फ़ित्र का त्यौहार रमज़ान महीने के पुरे रोज़े मुकम्मल होने पर मनाया जाता हैं। ईद उल फ़ित्र का चाँद दिखने के साथ ही शव्वाल का महीना भी शुरू हो जाता हैं। इससे पहले हमने शव्वाल महीने की इबादतों पर भी एक ब्लॉग लिखा था आज हम ईद उल फ़ित्र का त्यौहार ईद उल फ़ित्र की नमाज़ और उसके तरीके के बारे में बात करेंगे ताकि आपको ईद उल फ़ित्र से जुड़ी ज़रूरी मालूमात हासिल हो जाये। 

ईद उल फ़ित्र का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं?

रमज़ान के महीने में मुसलमान रोज़े रखता हैं इबादत करता हैं। रमज़ान के पुरे रोज़े होने के बाद यानि आखरी रोज़े में शाम को शव्वाल महीने का चाँद दिखाई देता हैं और उसके अगले दिन यानि की अगली सुबह ईद उल फ़ित्र का त्यौहार मनाया जाता हैं। ईद उल फ़ित्र का त्यौहार एक ख़ुशी का त्यौहार हैं रमज़ान के पुरे रोज़े होने की ख़ुशी में यह त्यौहार मनाता हैं यानि की जो रमज़ान में रोज़े रखे, पुरे महीने इबादत करी और बुरे कामो से दूर रहने के एक महीने मुकम्मल होने पर मुसलमान अल्लाह का शुक्र अदा करता हैं और ईद उल फ़ित्र का त्यौहार मनाता हैं। ईद उल फ़ित्र त्यौहार मानाने की शुरुआत पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने की थी। तब से लेकर ईद उल फ़ित्र इस्लाम में एक सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार बन गया है। 

ईद उल फ़ित्र में क्या काम करना चाहिए?

  • ईद उल फ़ित्र के फ़ित्र नहा धोकर अच्छे कपड़े या नया इस्लामी लिबास पहनना चाहिए। 
  • कपड़ो पर इत्र लगाना चाहिए। 
  • मर्दो को ईदगाह जाकर ईद उल फ़ित्र की नमाज़ अदा करना चाहिए औरतो को घर में चाशत की नमाज़ अदा करना चाहिए। 
  • ईद उल फ़ित्र के दिन ज़कात खैरात करना चाहिए हो सके तो नमाज़ से पहले ही ज़्यादा से ज़्यादा ज़कात खैरात करें। 
  • घरों में अच्छा पकवान या तरह तरह के पकवान जैसे सेवइयां खीर इत्यादि बनाने चाहिए। 
  • एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देना चाहिए और घरों में तरह तरह के पकवान बनाकर रिश्तेदारों दोस्तों की दावत करना चाहिए। 
  • बच्चो को ईदी और बड़ो को उपहार पेश करना चाहिए क्यूंकि ईद उल फ़ित्र एक खुशी का दिन हैं।

ईद उल फ़ित्र के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

  • ईद उल फ़ित्र के दिन कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए। 
  • ईद उल फ़ित्र के दिन रोज़ा नहीं रखना चाहिए। 
  • ईद उल फ़ित्र के दिन ज़्यादा सोना नहीं चाहिए।
  • ईद उल फ़ित्र के दिन मायूस या परेशान नहीं होना चाहिए।

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का तरीका जानना क्यों ज़रूरी हैं?

अक्सर हम देखते हैं की हम में से कुछ लोग (खासकर कम उम्र के बच्चे) ईद की नमाज़ का तरीका हर साल भूल जाते हैं। वैसे तो ईद उल फ़ित्र की नमाज़ से पहले इमाम नमाज़ का तरीका बताते है लेकिन कुछ लोग नमाज़ शुरू होने से कुछ ही देर पहले ईदगाह पहुचंते है तो वह फिर नमाज़ का तरीका भूल जाते हैं या उन्हें याद नहीं रहता और आस पास के लोगों को देखकर नमाज़ अदा करते हैं। इसलिए हम आपको ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का तरीका बता रहे हैं ताकि आप नमाज़ से पहले इसे पढ़ कर और समझ कर अपनी नमाज़ आसानी से अदा कर सके। 

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ में कितनी रकात होती हैं?

ईद उल फ़ित्र में सिर्फ 2 रकात नमाज़ अदा करनी होती है लेकिन नमाज़ का तरीका दूसरी नमाज़ों से अलग होता हैं। 

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का वक़्त क्या होता हैं?

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का वक़्त सूरज निकलने के 30 मिनट बाद से शुरू हो जाता हैं लेकिन आमतौर पर ईद की नमाज़ सुबह 8 बजे से 10 बजे की बीच पढ़ी जाती हैं। कहने का मतलब हर ईदगाह में नमाज़ के वक़्त में थोड़ा बहुत फर्क रहता हैं। लिहाज़ा आप अपने शहर में जो नमाज़ का वक़्त बताया गया हैं उस वक़्त के हिसाब से ईदगाह जाकर नमाज़ अदा करें।

ईद उल फ़ित्र की नमाज़ का तरीका 

सबसे पहले ईद उल फ़ित्र नमाज़ की नियत करें जो इस तरह है, 

नियत की मैंने दो रकात नमाज़ ईद उल फ़ित्र वाजिब मय ज़ाइद 6 तकबीरों के वास्ते अल्लाह तआला के पीछे इस इमाम के, मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक हाथ उठाये फिर बांध ले फिर सना पढ़े "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका"। फिर इमाम के साथ अल्लाहु अकबर कहते हुए दोनों हाथ कानों तक ले जाये और छोड़ दे। दूसरी बार भी अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कानों तक ले जाये और छोड़ दे। तीसरी मर्तबा अल्लाहु अकबर कहते हुए हाथ कानों तक ले जाये और फिर बांध ले। फिर इमाम जो भी पढ़ रहे हैं जैसे सूरह फातेहा और उसके बाद कोई सूरह उसे चुपचाप ख़ामोशी से सुने। इसमें आप को कुछ पढ़ने की ज़रूरत नहीं हैं। अगर इमाम की आवाज़ नहीं भी आ रही हैं फिर भी खामोश रहे। फिर इमाम के साथ रुकू जाकर 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। फिर सजदे में जाकर 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरी रकात के लिए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले। फिर इमाम जो पढ़ रहा है उसे फिर से ख़ामोशी से सुने। दूसरी रकात में आपको 3 मर्तबा हाथ को अल्लाहु अकबर कहते हुए कानों तक तक ले जाकर छोड़ देना हैं। फिर चौथी मर्तबा जब इमाम अल्लाहु अकबर कहता हैं तो सीधे रुकू में जाना हैं फिर 2 मर्तबा सजदा करने के बाद बैठ जाना हैं। फिर इमाम अत्तहिय्यात, दरूदे इब्राहिम, दुआ ए मसुरा पढ़ेंगे। आप को सिर्फ खामोश बैठना हैं। उसके बाद इमाम के साथ सलाम फेरना हैं इस तरह आपकी ईद उल फ़ित्र नमाज़ हो जाएगी।

इंशाल्लाह ये तरीका जानने के बाद आपको ईद उल फ़ित्र की नमाज़ में कोई गलती नहीं होगी। हम उम्मीद करते हैं आज का ये आर्टिकल पढ़ कर आपको ईद उल फ़ित्र के बारे में जानकारी हासिल हो गयी होगी। अल्लाह हम सब को रमज़ान के महीने में पाबन्दी से रोज़ा रखने, इस महीने में पाबन्दी से इबादत करने और इस महीने के गुज़र जाने के बाद भी पांच वक़्त की नमाज़ का पाबंद बनाये आमीन। 

जानिए आयते करीमा पढ़ने के फायदे और इसका महत्व के बारे में

इस्लाम धर्म में कुरआन को विशेष महत्त्व दिया गया है। कुरआन की हर आयत एक दिशा, एक मार्गदर्शन और एक रौशनी है जो हमें सच्चाई की ओर ले जाती है। ऐ...

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