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इस्लामी सूरह और उन्हें पढ़ने के फायदे (Islami Surah or unhe Padhne ke Faide)

इस्लामी सूरह और उन्हें पढ़ने के फायदे (Islami Surah or unhe Padhne ke Faide)

 

आज के इस ब्लॉग आर्टिकल में हम आपको कुछ खास इस्लामी सूरह के बारे बताएँगे जिन्हें पढ़ कर आप अपनी ज़िन्दगी सुधार सकते हैं और काफी मुसीबतों से बच सकते हैं।  


सूरह आले इमरान 

जो आदमी क़र्ज़ से मुब्तला हो या कहे बहुत कर्ज़दार हो गया हो अगर वह रोज़ाना सात मर्तबा यह सूरह पढ़ेगा तो इंशाल्लाह वह उस क़र्ज़ से आज़ाद हो जायेगा और अल्लाह तआला क़र्ज़ से आज़ाद करने के बाद उसकी रोज़ी का इंतेज़ाम भी कर देगा। अगर आप क़र्ज़ से परेशान हैं तो इस सूरह को कसरत से पढ़े इंशाल्लाह आपकी यह मुसीबत दूर हो जाएगी। 

सूरह निसा 

अगर मिया बीवी में मनमुटाव हो गया है ये रिश्ते में दरार आ चुकी हैं तो इस सूरह को पानी पर दम करके अगर मिया बीवी को पिलाया जाये तो तो दोनों में फिर से मोहब्बत पैदा हो जाएगी और बिगड़ते रिश्ते सुधरने लग जायेंगे और आपसी मनमुटाव दूर हो जायेगा और इंशाल्लाह घर का माहौल फिर से खुशगवार हो जायेगा। 

सूरह आराफ़

इस सूरह को रोज़ कम से कम तीन मर्तबा पढ़ने वाला शख्स बालाओं और मुसीबतों से महफूज़ रहेगा। बड़ी से बड़ी आफत और मुसीबत उससे दूर रहेगी और बंदा शैतानी वस्वसे से भी दूर रहेगा। 

सूरह युसूफ 

अगर किसी को क़ुरान की कोई सूरह याद नहीं हो रही या कोई शख्स क़ुरान हाफिज बनना चाहता हैं तो उसे चाहिए की सबसे पहले सूरह युसूफ याद करे। इसकी बरकत से आपको पूरा क़ुरान मजीद याद हो जायेगा और हमेशा याद रहेगा। अगर किसी शख्स को बिना वजह से नौकरी से निकाल दिया गया हैं या गलत तरीके से उसे नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा हैं तो ऐसे शख्स को चाहिए की वह सूरह युसूफ रोज़ाना नमाज़ के बाद 13 मर्तबा पढ़े इंशाल्लाह उसकी नौकरी वापिस बहाल हो जाएगी और आगे भी नौकरी में कभी दिक्कत नहीं आएगी।

कोई गरीब आदमी या जिस के पास माल और दौलत खत्म हो रहा हैं और खाना पीना भी मुश्किल हो रहा हैं वह भी इस सूरह को पाबन्दी से रोज़ाना पढ़ कर अल्लाह से दुआ मांगे इंशाल्लाह उसकी गरीबी ख़त्म हो जाएगी। 

सूरह इब्राहिम 

अगर किसी शख्स पर जादू करके उसे नामर्द बना दिया गया हो या किसी की मर्दाना ताकत किसी वजह से ख़त्म हो गयी हो तो उसे चाहिए की वह रोज़ाना तीन बार यह सूरह पढ़े इंशाल्लाह जादू का असर खत्म हो जायेगा और उसकी मर्दाना ताकत वापिस बहाल हो जाएगी। 

सूरह बनी इसराइल 

घर में कोई बच्चा कमज़ोर दिमाग वाला हो या उसे बोलने में दिक्कत आती हो या बोल ही नहीं पाता हो और चीज़ो को समझ ही नहीं पाता हो तो मुश्क व ज़ाफ़रान से इस सूरह को लिख कर पानी में घोल कर पिए इंशाल्लाह बच्चा साफ़ बोलने लगेगा और उसका दिमाग एक नोर्मल बच्चे जैसा हो जायेगा। 

सूरह ताहा

अगर किसी लड़की का निकाह न हो रहा हो या निकाह में रुकावट आ रही हो ये यह सूरह दिन में 21 मर्तबा रोज़ पढ़े इंशाल्लाह जल्द ही अच्छे रिश्ते की खबर आएगी और नेक मर्द से उसकी शादी भी हो जाएगी और रिश्ते में भी आगे कोई रुकावट या नफरत पैदा नहीं होगी। 

सूरह मरियम और सूरह कौसर 

अगर किसी औरत के बच्चा ठहरने में दिक्कत आ रही हैं या किसी वजह या रुकावट से बच्चा न हो रहा हो तो ऐसी औरत को चाहिए की सूरह मरियम रोज़ाना एक मर्तबा वज़ू करके रोज़ पाबन्दी से पढ़े इसके साथ आप सूरह कौसर भी पढ़े इंशाल्लाह आपको जल्द ही खुशखबरी मिलेगी और बच्चा होने के वक़्त भी ज़्यादा तक़लीफ़ नहीं होगी। 

सूरह यासीन 

सूरह यासीन की फ़ज़ीलत के बारे में हमने एक पहले भी आर्टिकल लिखा हैं जिसे आप पढ़ सकते हैं हम वापिस इस सूरह को पढ़ने के फायदे के बारे में आपको बातएंगे। सूरह यासीन को क़ुरान का दिल कहा जाता है। इसे क़ुरान में सबसे बेहतरीन और बरकत वाली सूरह में शुमार किया जाता हैं। इसे पढ़ने के काफी सारे फायदे हैं जो इस तरह है,

  • अगर आप किसी मुसीबत में फंस चुके हो और कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा हो तो सूरह यासीन पढ़े इंशाल्लाह आपकी मुसीबत आसानी से दूर हो जाएगी। 
  • अगर किसी औरत के बच्चा होने के आखरी महीने में अगर आप चाहते हो की उसे कोई परेशानी न हो या कहे बच्चे की डिलीवरी आसानी से बिना किसी खतरे के हो जाये तो आपको चाहिए की यासीन शरीफ पानी पर दम करके वह पानी उस औरत को पिला दे इंशाल्लाह बच्चे की डिलीवरी आसानी से हो जाएगी। 
  • अगर आपका कोई दुश्मन हैं जो आपको मारना चाहता हैं या आपको परेशान करना चाहता हैं तो आप जुमे के दिन फज्र की नमाज़ के बाद एक मर्तबा यासीन शरीफ पढ़े और ऐसे लोगो से बचने की दुआ मांगे इंशाल्लाह वह दुश्मन आप के आस पास भी नहीं भटकेगा। 
  • सूरह यासीन को पढ़ने से बीमारी में भी शिफा हासिल होती है और इसको पाबन्दी से पढ़ने वाला शख्स कभी किसी गंभीर बीमारी का शिकार नहीं होता। 

सूरह बक़रह 

यह क़ुरान पाक की सबसे बड़ी सूरह हैं इसे पढ़ने का सवाब तो ही साथ ही साथ यह सूरह आपको काफी मुसीबतों और परेशानियों से भी बचाती हैं। जो शख्स इस सूरह को दिन में एक बार अगर दिन में न हो सके तो हफ्ते में एक बार इस सूरह को दिल से पढ़ता हैं तो उस शख्स की उम्र में बरकत होती हैं। अगर आपके घर पर या आस पास ज़हरीले जानवर जैसे सांप या कुछ और जिससे जान को खतरा हैं तो आपको चाहिए की सूरह बक़रह पढ़ कर पानी में दम करके उसमे थोड़ा और पानी मिलकर किसी बोतल में भर ले और वह पानी घर के चारो और जहाँ से जानवर घर में घुसता हैं वहां वह पानी थोड़ा थोड़ा डाले इंशाल्लाह घर में कभी कोई ज़हरीला जानवर नहीं घुसेगा। 

सूरह बक़रह आपको जादू टोन से भी बचाता है आप अगर कही जा रहे है और आपको लगता है यह जगह सही नहीं हैं मतलब उस जगह शैतान हवा में घूमते हैं तो आपको चाहिए की सूरह बक़रह पढ़ कर जाये तो आप शैतानी वसवसे से दूर रहेंगे और कोई जादू टोना आप पर असर नहीं करेगा। इसके अलावा भी इस सूरह के काफी फायदे हैं जो इंशाल्लाह हम आपको अगले आर्टिकल में बताने की कोशिश करेंगे।

अल्लाह हाफिज  

नफ़्ल नमाज़े और उसकी बरकतें (Nafl Namaze or Uski Barkaten)

नफ़्ल नमाज़े और उसकी बरकतें (Nafl Namaze or Uski Barkaten)

 

इस्लाम में पांच वक़्त की जो नमाज़े फ़र्ज़ हैं उन्हें तो अदा करना ही हैं अगर यह नमाज़े अदा नहीं करेंगे तो बेशक आप गुनहगार होंगे। इन पांच वक़्त की नमाज़ो के अलावा कुछ ऐसी नफ़्लें नमाज़े भी भी हैं जिन्हे अगर आप पाबन्दी से अदा करते हैं तो आप बेशक अल्लाह के महबूब बन्दे बन जायेंगे। एक हदीस की मुताबिक जो शख्स जो पांच नमाज़े फ़र्ज़ हैं उनके अलावा नफ़्ल नमाज़े भी पाबन्दी से अदा करता हैं। अल्लाह पाक ऐसे शख्स को हर मुसीबतो से बचाता हैं। उसके अलावा ऐसे शख्स को बेशुमार नेमतें हासिल होती हैं। 

इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी नफ़्ल नमाज़ो में बारे में बताने वाले हैं जिनकी बरकत से अल्लाह पाक अपने बन्दे पर खास करम फरमाता हैं। इन नमाज़ो को अदा करने वाला शख्स हर बलाओं से महफूज़ रहता हैं। चलिए बात करते हैं इन खास नफ़्ल नमाज़ो के बारे में, 

तहियतुल वज़ू 

तिर्मिज़ी शरीफ की हदीस हैं अल्लाह के प्यारे रसूल ने फ़रमाया ! जो शख्स अच्छी तरह वज़ू करके दो रकात नमाज़ तहियतुल वज़ू पढ़ेगा उसके लिए जन्नत वाजिब हो जाती हैं और उसे दुनियावी ज़िन्दगी में बेशुमार नेअमतें हासिल होती हैं। 

इशराक की नमाज़ 

जो शख्स फज्र की नमाज़ जमाअत से अदा करके वहीं बैठा रहे और अल्लाह का ज़िक्र करता रहे यानि तिलावत, दरूद शरीफ, तस्बीह वगैरह पढ़ता रहे और सूरज निकलने के कुछ देर बाद 2 रकात नमाज़ नमाज़े इशराक पढ़े तो ऐसे शख्स को एक हज या उमरा का सवाब हासिल होता हैं। 

चाश्त की नमाज़

यह नमाज़ भी मुस्तहब नफ़्ल हैं। अल्लाह के प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स चाश्त की 2 रकात नमाज़ दिन निकलने के एक घंटे बाद बाद पढ़ेगा। उसके गुनाह बख़्श दिए जायेंगे। 

तहज्जुद की नमाज़

यह नमाज़ हमारे प्यारे रसूल पर फ़र्ज़ थी। हमारे लिए सुन्नत हैं। इस नमाज़ में कम से कम 2 रकअतें और ज़्यादा से ज़्यादा 8 रकअतें होती हैं। इसका वक़्त ईशा की नमाज़ के बाद थोड़ी देर सो जाने के बाद आंख खुलने पर होता हैं। मतलब यह की इस नमाज़ को अदा करने के लिए ईशा की नमाज़ के बाद थोड़ी देर सोना ज़रूरी है। जब सेहरी के बीच के वक़्त में आंख खुले तो उस दौरान यह नमाज़ अदा करें। कहने के मतलब इस नमाज़ का वक़्त ईशा की नमाज़ के बाद से सेहरी के वक़्त तक रहता हैं। इस नमाज़ को हमेशा पढ़ने वाला शख्स अल्लाह के बहुत करीब रहता हैं। उसे बेशुमार फायदे हासिल होते हैं और वह हर परेशानियों और मुसीबतों से महफूज़ रहता हैं।

सालतुल तस्बीह

यह नमाज़ बड़ी बरकत वाली नमाज़ हैं। एक हदीस में आया हैं की अल्लाह के प्यारे रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने चाचा हज़रत अब्बास से फ़रमाया की अगर हो सके तो यह नमाज़ रोज़ पढ़ो रोज़ न पढ़ सको तो हफ्ते में एक बार पढ़ो अगर ये भी नहीं हो सके तो महीने या साल में एक बार अगर वो भी नहीं तो ज़िन्दगी में एक बार ज़रूर पढ़ना चाहिए। प्यारे रसूल ने इस नमाज़ को पढ़ने के लिए कितना ज़ोर दिया हैं ये आप समझ सकते हो और ये भी समझ सकते हो की अगर प्यारे रसूल ने इस नमाज़ को पढ़ने के लिए इतना ज़ोर दिया हैं तो यह नमाज़ कितनी बरकत वाली नमाज़ होगी। इसका अंदाज़ा आपकी कही बातों से लगाया जा सकता हैं। 

सालतुल तस्बीह नमाज़ का तरीका 

4 रकात नफ़्ल नमाज़ की नियत करे और नियत करने के बाद 15 बार सुब्हानल्लाहे वल्हम्दुलिल्लाहे व लाइलाहा इल्लल्लाहो वल्लाहो अकबर पढ़े अल्हम्दो और सूरत पढ़ने के बाद रुकू में जाने पहले यही तस्बीह 10 बार पढ़े रुकू में सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ लेने के बाद 10 बार रुकू से उठने के बाद सजदे में जाने से पहले 10 बार सजदे में जाने पर सुब्हान रब्बियल आला पढ़ लेने के बाद 10 बार फिर दूसरे सजदे में 10 बार यही तस्बीह पढ़े इस तरह हर रकात में 75 बार यह तस्बीह पढ़ी जाएगी और 4 रकात में 300 बार हो जाएगी।

नमाज़े हाजत

अबू दाऊद की हदीस है, हज़रत हुज़ैफ़ा रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं जब अल्लाह के रसूल का कोई अहम मामला पेश आ जाता या कोई मुसीबत या मुश्किल आ जाती तो इसके लिए आप दो या चार रकात नमाज़ अदा फरमाते। पहली रकात में सूरह फातेहा के बाद 3 मर्तबा आयतल कुर्सी, दूसरी में अल्हम्दो शरीफ के बाद एक बार कुल हुवल्लाह शरीफ, तीसरी में सूरह फ़लक़ और चौथी में सूरह नास पढ़ते और फिर नमाज़ के बाद अपनी हाजत के लिए दुआ मांगते जिसकी बरकत से अल्लाह पाक आपकी हर मुश्किल आसान फरमा देता।

अल्लाह पाक हम सबको पाबन्दी से नमाज़ अदा करने और इस्लामी शरीयत पर चलने की तौफीक अता फरमाए ताकि हम हमारी आख़िरत को सुधार सके आमीन । 

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