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पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam)

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam)

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख 571 ईस्वी में सऊदी अरब के मक्का में पैदा हुए। आपके पिता का नाम अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुतलिब और माँ का नाम बीबी आमिना था। आप बचपन से ही अल्लाह की इबादत में मसरूफ़ रहते थे। आप पर ही पवित्र पुस्तक क़ुरान उतारी गयी। 40 साल की उम्र में आपको अल्लाह की और से एक पैगाम हासिल हुआ। जिसमे अल्लाह ने आपको कहा की तुम दुनिया में हो रही बुराइयों को मिटाओ लोगो को समझाओ उनको गुमराही से बचाओ। आपने अल्लाह के इस हुक्म को कबूल किया और उस पर खरा उतरने का वादा किया। तभी से उन्हें नबूवत हासिल हुई। आपकी वफ़ात भी रबीउल अव्वल महीने की 12 तारीख 632 ईस्वी को तेज़ बुखार की वजह से हुई। वफ़ात के वक़्त आप 62 साल के थे।

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के द्वारा भेजे गए इस्लाम के आखरी पैग़म्बर व नबी है। आपने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की हैं। उस दौर में अरब में लोगो का बहुत बुरा हाल था। उस वक़्त वहां हर वर्ग का अपना अलग धर्म था। और उनके अलग अलग तरह के देवी देवता थे। कोई मूर्ति को पूजता था, तो कोई ताकतवर बादशाहो को अपना भगवान मानता था। कोई जानवरो को पूजता था तो कोई शैतानो को सबके अपने अलग अलग देवता थे। इसके अलावा वहाँ हिंसक भावना सभी लोगो में थी। सभी एक दूसरे के दुश्मन उनके खून के प्यासे थे। वहां कोई भी सुरक्षित नहीं था। औरते और बच्चे तक महफूज़ नहीं थे। इस बुरे दौर को खत्म करने के लिए अल्लाह ने पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पैग़म्बर बनाया।

दुनिया की हज़ारो साल पुरानी आबादी में हज़ारो नबी व रसूल आये। अलग अलग लोगो ने अलग अलग अंदाज़ में पुराने धर्मो का प्रचार किया और फिर एक ऐसा भी दौर आया की लोग खुदा को भूल बैठे थे। और ताक़तवरो बादशाहो को ही खुदा मान बैठे थे। ऐसे बादशाहो ने भी अपनी खुदाई होने का दवा करना शुरू कर दिया था। दुनिया के ऐसे बिगड़े माहौल में अलग अलग वर्गों में बटी एक दूसरे के खून की प्यासी दुनिया हर ऐतबार से गुमराह हो चुकी थी। ऐसे वक़्त में इंसानियत की रहनुमाई के लिए पैगंबरे आज़म ताजदारे कायनात महबूबे परवरदिगार हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इंसानियत की रहनुमाई के लिए दुनिया में तशरीफ़ लाये।

आपने लोगों से फ़रमाया ए दुनिया वालो में किसी एक कबीले खानदान मुल्क वालो का ही भला नहीं चाहता बल्कि मै तो पूरी दुनियाए इंसानियत की रहनुमाई के लिए अमन और रहमत का पैगाम लेकर आया हूँ। मेरे रब ने मुझे पूरी इंसानी बिरादरी की हिदायत के लिए भेजा हैं। मै तुम्हे इंसानियत का भुला सबक याद दिलाने आया हूँ।  मै तुम्हे अख़लाक़ व हिकमत की तालीम देने आया हूँ। आपने जो कुछ उस वक़्त फ़रमाया उस पर अमल करके दिखाया। आपने सब को इंसानियत की रस्सी में पिरोना चाहा। एक दूसरे को एक दूसरे का भाई बना कर मुहब्बत व भाई चारगी के रिश्ते में बांधना चाहा तो इसके लिए यह ज़रूरी था की लोगो की सोच एक तरफ लायी जाये। उनको एक अल्लाह की इबादत की और लाया जाये मतलब यह था की अगर सारे लोग एक ही माबूद की इबादत करेंगे तो ही एक बनकर रहने का सबक सीखेंगे।

लोगो को इंसानियत व भाई चारगी की बुनियादो पर जमा करने के लिए आपने जात पात की दीवारों को खत्म फरमा दिया। काले गोरे के फ़र्क़ को मिटा दिया। अरबी आज़मी का फ़र्क़ खत्म फ़रमा कर सब को इस्लाम की लाइन में खड़ा कर दिया। आपने इस्लाम का पैगाम भटके हुए लोगो तक पहुंचाया वो लोग जो ताकतवर बादशाहो को ही खुदा समझ बैठे थे। आपने लोगो को समझाया की दौलत, शोहरत, बादशाही होने से कोई इज़्ज़तदार नहीं बन सकता। इंसान अपनी सलाहियत और शौक के मुताबिक रोज़ी रोटी के लिए जो पेशा अपनाना चाहे अपना सकता हैं। किसी के आगे झुकने और ज़ुल्म सहने की ज़रूरत नहीं हैं। उन्होंने लोगो से यह भी फ़रमाया की हलाल कमाई के लिए किसी काम को छोटा ना समझा जाये और किसी भी पेशे के वजह से किसी को बड़ा या छोटा ना समझा जाये। ऐसा सोचना इंसानियत और इस्लामी तालीम के खिलाफ हैं।

सबको देने वाला सबका परवरदिगार अल्लाह हैं। दुनिया व आख़िरत की बादशाही अल्लाह के लिए हैं। उसके अलावा कोई बादशाह नहीं हो सकता, जिसके सामने तुम झुको और सर झुकाओ। अल्लाह जिसे चाहे अपने बन्दों की खिदमत के लिए हुकूमत बादशाहत अता फ़रमा दे। आपने उस वक़्त ऐसे तमाम बादशाह जो लोगो पर ज़ुल्म करते आ रहे थे। उन्हें अल्लाह का खौफ और अज़ाब बताया और दुनियावी व आख़िरत की तबाही का खौफ बताया। आपने गुलामो को आज़ाद करने की ताकीद फ़रमाई और गुलामो को आज़ाद करने को बहुत बड़ा सवाब करार दिया। आपकी ऐसी ही कोशिशों से सैंकड़ों गुलाम आज़ादी की ज़िन्दगी जीने लगे। बड़े बड़े बादशाह जो खुदा होने का दावा कर रहे थे वो एक ही अल्लाह की इबादत में लग गए और फिर धीरे धीरे गुलाम खरीदने और बेचने की रस्म खत्म हो गयी।

आपने दौलत मंद लोगो से फ़रमाया की अल्लाह ने तुम्हे माल व दौलत से नवाज़ा हैं तो याद रखो की तुम्हे अल्लाह की उस अमानत का हक़ अदा करना हैं। तुम्हे उस दौलत को उसी तरीके से इस्तेमाल करना हैं जिसकी इजाज़त अल्लाह ने तुम्हे दे रखी हैं। अगर तुम दौलत का गलत इस्तेमाल करोगे तो कंगाल हो जाने के साथ साथ तरह तरह के गुनाह बीमारियों और सज़ाओ के हक़दार भी बनोगे। इसी लिए इस्लाम में माल जमा रखने की नहीं बल्कि उसका इस्तेमाल करने की ताकीद की गयी हैं। मतलब सदक़ा, खैरात करो अपने बच्चो की अच्छे से परवरिश करो अपना कारोबार बढ़ाओ, अल्लाह की राह में उस के ज़रूरत बन्दों पर खर्च करो, माल दबा कर ना बैठ जाओ। आपकी वफ़ात के के बाद पुरे अरब में लोग ईमान लाये। आपकी बदौलत पुरे अरब में इस्लाम का परचम फैला जो आज पूरी दुनिया में कायम हैं।

पैगंबरे इस्लाम मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो की इन्ही मुबारक तालीमात पर मुसलमान अमल करे और खुशहाल रहे आमीन। 

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