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ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका

ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका


आज हम ज़ोहर की नमाज़ पर बात करेंगे और आपको बताएँगे की आखिर ज़ोहर की नमाज़ क्या होती हैं? इसका सही वक़्त कौनसा होता हैं? इस नमाज़ में कितनी रकात होती हैं? इस नमाज़ को पढ़ने का क्या तरीका है? मेरे भाइयों और बहनों जैसा की हम सब जानते है की इस्लाम में हमें जो पांच नमाज़े पढ़ने का हुक्म हैं।  वो सभी नमाज़े हमें पाबन्दी से पढ़ना हैं।  उसे बेवजह छोड़ना नहीं हैं।  अगर हम बेवजह नमाज़ छोड़ देते है हम पर अल्लाह का अज़ाब नाज़िल होगा। जो बहुत भयानक होगा। बेनमाज़ी लोगों पर जो अल्लाह का जो अज़ाब नाज़िल होता हैं उस पर हम पहले भी एक आर्टिकल लिख चुके हैं। आपके चाहे तो लिंक पर क्लिक करके वह आर्टिकल पढ़ सकते हैं।  

खैर हम बात करते हैं ज़ोहर की नमाज़ की, सबसे पहले बात करते हैं आखिर ज़ोहर की नमाज़ क्या होती हैं?

इस्लाम में जो पांच नमाज़े मुसलमानों पर फ़र्ज़ हैं उन पांच नमाज़ों में से जो दूसरी नमाज़ होती हैं वो ज़ोहर की नमाज़ कहलाती है। ज़ोहर की नमाज़ से पहले फज्र की नमाज़ होती हैं। एक हदीस में आया हैं की जो शख्स पाबन्दी से ज़ोहर की नमाज़ अदा करता है उसके माल और दौलत में इज़ाफ़ा होता हैं और वह कभी परेशान नहीं रहता हैं। सुब्‍हान‍अल्लाह

ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त कब से कब तक रहता है?

वैसे तो हम सभी ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त जानते हैं लेकिन कुछ बच्चे जो की शुरू में नमाज़ पढ़ना सीखते हैं उन्हें नमाज़ और उसके वक़्त का पता नहीं रहता। इसलिए हम आपको बता दें की ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त जवाल के वक़्त के बाद शुरू होता हैं याद रहे है की जवाल का वक़्त गुज़र जाने के बाद ही ज़ोहर की नमाज़ अदा की जा सकती हैं। जवाल के वक़्त कोई भी नमाज़ पढ़ना मकरूह हैं। जवाल का वक़्त यानि जब सूरज बिलकुल सर के ऊपर रहता हैं। ये वक़्त दिन में करीब 11:30 से लेकर 12:30 बजे तक रहता हैं।    

ज़ोहर की नमाज़ वक़्त 1 बजे से लेकर असर की नमाज़ की अज़ान से पहले तक रहता है वैसे तो अलग अलग शहरों की मस्जिदों में ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त थोड़ा अलग रहता है। कहीं 1 बजे तक अज़ान हो जाती हैं तो कहीं 2 बजे। अज़ान होने के 15 मिनट बाद इमाम ज़ोहर की नमाज़ पढ़वाते हैं। अगर आप कहीं सफर कर रहे हो जहाँ न मस्जिद हैं न कहीं से अज़ान की आवाज़ आ रही हैं तो आप पहले तो मोबाइल या घड़ी में वक़्त देख ले अगर 1 बजे से लेकर 4 बजे के बीच वक़्त हैं तो आप नमाज़ पढ़ सकते हैं क्यूंकि 4 बजे के बाद असर का वक़्त शुरू हो जाता हैं।

ज़ोहर की नमाज़ में कितनी रकात होती हैं 

आपको बता दें की ज़ोहर की नमाज़ में 12 रक़ातें होती हैं। जो इस तरह है,

4 रकात नमाज़ सुन्नत

4 रकात नमाज़ फ़र्ज़ 

2 रकात नमाज़ सुन्नत

2 रकात नमाज़ नफ़्ल 

मतलब पहले 4 सुन्नत पढ़ी जाएगी फिर 4 फ़र्ज़ उसके बाद 2 सुन्नत और आखिर में 2 नफ़्ल नमाज़ आपको पढ़नी हैं।

ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने का तरीका 

दिन की पांचो नमाज़ के पढ़ने का तरीका लगभग एक ही जैसा हैं। सब में बस नियत और रकात का फर्क होता है बाकि सब कुछ तरीका बिलकुल एक ही जैसा हैं। आपने हमारे पिछले ब्लॉग में फज्र, असर और मगरिब की नमाज़ को पढ़ने का जो तरीका पढ़ा होगा। जो तरीका उसमे दिया गया है वही तरीका ज़ोहर की नमाज़ में भी अपनाना हैं। 

हम आपको ज़ोहर की 4 सुन्नत नमाज़ पढ़ने का पूरा तरीका बताते है। वो अगर आपने सीख लिया तो बाकि की नमाज़ भी आप आसानी से सीख लेंगे। 

4 रकात नमाज़ सुन्नत का तरीका 

सबसे पहले नमाज़ की नियत करे जो इस तरह है  

नियत की मैंने 4 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के, वक़्त ज़ोहर का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले। उसके बाद आपको सूरह सना पढ़ना हैं जो हैं "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका" इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। 

इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से सूरह फातेहा (अल्हम्दु शरीफ) पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद वापिस आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे पैर के पंजो के बल पर बैठ जाये। 

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं। 

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। फिर आप अल्लाहो अकबर बोलते हुए तीसरी रकात के लिए फिर से खड़े हो जाये। जैसे आपने ये 2 रकात पढ़ी उसी तरह आपको 4 सुन्नत की आखरी 2 और रकात पढ़नी हैं। बस आखिर की 2 रकात में अत्तहिय्यात के बाद दरूदे इब्राहिम एक बाद और दुआ ए मसुरा एक एक बार पढ़ना हैं। उसके बाद सलाम फेरना हैं। इस तरह आपकी 4 रकात नमाज़ सुन्नत हो जाएगी। 

4 रकात फ़र्ज़ नमाज़ का तरीका 

जैसे आपने सुन्नत नमाज़ पढ़ी। बस वैसे ही आपको फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना हैं क्यूंकि दोनों में 4 रकात ही हैं। बस 4 फ़र्ज़ नमाज़ में थोड़े से बदलाव हैं जो इस तरह हैं पहला की इसमें आपको नियत में 4 सुन्नत की जगह 4 फ़र्ज़ बोलना हैं। दूसरा अगर आप मस्जिद में यह नमाज़ पढ़ रहे हैं तो नियत में पीछे इस इमाम के बोल सकते हैं क्यूंकि मस्जिद में फ़र्ज़ नमाज़ इमाम के पीछे होती हैं। इमाम ही फ़र्ज़ नमाज़ को पढ़वाते हैं। तीसरा जब आप पहली 2 रकात फ़र्ज़ पढ़कर तीसरी रकात के लिए खड़े होंगे, उसमे आपको सूरह फातेहा पढ़ने के बाद सीधे रकू में चले जाना हैं। सूरह फातेहा के बाद कोई सूरह जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक नहीं पढ़ना हैं। आपको सीधे रकू में जाना हैं और जो बाकि का तरीका हैं वहीं इस नमाज़ में भी करना हैं।  बस ऐसे आपकी 4 फ़र्ज़ नमाज़ भी हो जाएगी। 

2 रकात नमाज़ सुन्नत का तरीका 

जैसे आपने सबसे पहले 4 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़ी उसी तरह अब 2 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़नी हैं बस इसमें ये फर्क हैं की पहले आपने 4 सुन्नत पढ़ी अब सिर्फ 2 सुन्नत पढ़नी हैं। इसके लिए आपको नियत में 2 रकात नमाज़ सुन्नत बोलना हैं और 4 की जगह 2 रकात ही पढ़नी हैं यानि दूसरी रकात में अत्तहिय्यात, दरूदे इब्राहिम और दुआ ए मसुरा पढ़ कर सलाम फेरना हैं।

2  रकात नमाज़ नफ़्ल का तरीका 

जैसे आपने 2 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़ी बस ऐसे ही 2 रकात नमाज़ नफ़्ल पढ़नी हैं। बस नियत में आपको 2 रकात नमाज़ नफ़्ल बोलना हैं। इस तरह आपकी नफ़्ल नमाज़ भी हो जाएगी। उम्मीद करते है आपको ज़ोहर की नमाज़ को पढ़ने का पूरा तरीका मालूम चल गया होगा। 

अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

असर की नमाज़ का वक़्त इसकी नियत और पढ़ने का तरीका

असर की नमाज़ का वक़्त इसकी नियत और पढ़ने का तरीका


असर की नमाज़ पांच वक़्त की नमाज़ो में से तीसरी नमाज़ होती हैं। जो की ज़ोहर की नमाज़ की बाद होती हैं। असर की नमाज़ के पहले ज़ोहर और उसके बाद मगरिब की नमाज़ होती हैं। हदीसों में असर की नमाज़ की बहुत फ़ज़ीलत बताई गयी हैं, क्यूंकि ये नमाज़ उस वक़्त होती हैं जब लोग अपने कामों में मसरूफ होते हैं या बाज़ारों में कुछ खरीददारी के लिए निकलते हैं। ऐसे वक़्त में जब बंदा इस नमाज़ को अदा करता हैं तो अल्लाह ऐसे बन्दों को अपने बहुत करीब रखता हैं। एक हदीस के मुताबिक जो शख्स असर की नमाज़ को बेवजह छोड़ देता हैं वह शख्स बहुत बड़ा गुनहगार बन जाता हैं। एक और हदीस में आया हैं की जो शख्स फ़ज़्र और असर की नमाज़ पाबन्दी से पढता है। वह जहन्नम के अज़ाब से बच जाता हैं। खैर हम सब को कोशिश करना चाहिए की हम कोई भी नमाज़ को पढ़ना न भूले। 

असर की नमाज़ का वक़्त 

ज़ोहर की नमाज़ का वक़्त ख़त्म होते ही असर की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता हैं। यह वक़्त सर्दी और गर्मी में अलग अलग रहता हैं, जैसे अभी गर्मी का मौसम चल रहा हैं तो असर की नमाज़ का वक़्त शाम 5 बजे से सूरज डूबने के 20 मिनट पहले तक रहता हैं। सर्दी में यही वक़्त थोड़ा जल्दी हो जाता हैं यानि सर्दी में ये वक़्त 4 बजे से लेकर सूरज डूबने के 20 मिनट पहले तक रहता हैं। आप कोशिश करिये के सूरज जैसे ही डूबने वाला हो उसके 20 मिनट पहले तक असर की नमाज़ अदा कर ले नहीं तो आपकी नमाज़ कज़ा हो जाएगी और आप गुनहगार हो जायेंगे। सूरज जैसे ही डूबना शुरू करता हैं उस वक़्त मगरिब की नमाज़ का वक़्त शुरू हो जाता हैं। लिहाज़ा आप ऊपर बताये वक़्त के मुताबिक असर की नमाज़ अदा कर ले। 

असर की नमाज़ में कितनी रकात होती हैं?


असर की नमाज़ में कुल 8 रकात होती हैं जो इस तरह हैं, 

4 रकात सुन्नत 

4 रकात फ़र्ज़  

पहले 4 सुन्नत नमाज़ पढ़ी जाएगी उसके बाद 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ी जाएगी।

अज़ान होने के बाद करीब 15 मिनट के बाद मस्जिद में फ़र्ज़ नमाज़ शुरू हो जाती हैं अगर आप मस्जिद में यह नमाज़ पढ़ने जा रहे हैं तो अज़ान के 15 मिनट के अंदर सुन्नत नमाज़ अदा कर ले क्यूंकि उसके बाद मस्जिद के इमाम साहब आपको 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ाएंगे। अगर आप घर पर पढ़ रहे हैं तो पहले 4 सुन्नत और बाद में 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े।

असर की नमाज़ की नियत 

हर नमाज़ की नियत काफी हद तक एक जैसी ही होती हैं बस उसमे वक़्त और रकात बदल जाती हैं। फिर भी आपको नियत का तरीका बता देते हैं जो इस तरह हैं, 

4 रकात नमाज़ सुन्नत की नियत 

नियत की मैंने 4 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त असर का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले। इसके बाद क्या पढ़ना हैं वो आपको आगे बताते हैं पहले इस तरह से 4 सुन्नत नमाज़ की नियत कर ले। 

4 रकात नमाज़ फ़र्ज़ की नियत 

नियत की मैंने 4 रकात नमाज़ फ़र्ज़, वास्ते अल्लाह तआला के (अगर आप मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे हैं तो पीछे इस इमाम के बोल सकते है घर पर पढ़ रहे हैं तो ये लाइन बोलने की ज़रूरत नहीं ) वक़्त असर का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले इसके बाद क्या पढ़ना हैं वो आपको आगे बताते हैं पहले इस तरह से 4 फ़र्ज़ नमाज़ की नियत कर ले। 

असर की नमाज़ पढ़ने का तरीका 

जैसे की हमने पहले कहा की हर नमाज़ की नियत काफी हद तक एक जैसी रहती हैं वैसी ही नियत के बाद जो सूरह और नमाज़ पढ़ने का तरीका होता हैं वह भी लगभग एक जैसा होता हैं। बस कोई नमाज़ छोटी है तो कोई बड़ी। जैसे असर में 4 रकात सुन्नत या फ़र्ज़ पढ़नी होती हैं तो फ़ज़्र की नमाज़ में 2 रकात सुन्नत या फ़र्ज़ पढ़नी होती हैं। बाकि हर नमाज़ में जो सूरह और आयत पढ़नी होती हैं वहीं आपको हर नमाज़ में पढ़नी होती हैं। नियत के बारे में हमने ऊपर आपको बता ही दिया हैं चलिए उसके बाद क्या पढ़ना है वो हम आपको बताते हैं। 

4 रकात नमाज़ सुन्नत का तरीका 

जैसे ही आप नियत के बाद दोनों हाथो को नाफ की नीचे बांधेंगे उसके बाद आपको सूरह सना पढ़ना हैं जो हैं सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका" इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। 

इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से सूरह फातेहा (अल्हम्दु शरीफ) पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद वापिस आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे पैर के पंजो के बल पर बैठ जाये। 

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं। 

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। फिर आप अल्लाहो अकबर बोलते हुए तीसरी रकात के लिए फिर से खड़े हो जाये। जैसे आपने ये 2 रकात पढ़ी उसी तरह आपको 4 सुन्नत की आखरी 2 और रकात पढ़नी हैं। बस आखिर की 2 रकात में अत्तहिय्यात के बाद दरूदे इब्राहिम एक बाद और दुआ ए मसुरा एक एक बार पढ़ना हैं। उसके बाद सलाम फेरना हैं। इस तरह आपकी 4 रकात नमाज़ सुन्नत हो जाएगी। 

4 रकात नमाज़ फ़र्ज़ का तरीका 

जैसे आपने सुन्नत नमाज़ पढ़ी। बस वैसे ही आपको फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ना हैं क्यूंकि दोनों में 4 रकात ही हैं। बस 4 फ़र्ज़ नमाज़ में कुछ बदलाव हैं। इसकी नियत भी सुन्नत की तरह हैं सिर्फ आपको 4 सुन्नत की जगह 4 फ़र्ज़ बोलना हैं और जब आप पहली 2 रकात फ़र्ज़ पढ़कर तीसरी रकात के लिए खड़े होंगे, उसमे आपको सूरह फातेहा पढ़ने के बाद सीधे रकू में चले जाना हैं। सूरह फातेहा के बाद कोई सूरह जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक नहीं पढ़ना हैं। आपको सीधे रकू में जाना हैं और जो बाकि का तरीका हैं वहीं इस नमाज़ में भी करना हैं।  बस ऐसे आपकी 4 फ़र्ज़ नमाज़ भी हो जाएगी।  

उम्म्मीद करते हैं आज आपने असर की नमाज़ को भी अच्छी तरह से पढ़ना समझ लिया होगा। इंशाल्लाह ये नमाज़ का तरीका पढ़ने के बाद कोई दिक्कत नहीं आएगी। 

अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

मगरिब की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका

मगरिब की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका


कुछ वक़्त पहले हमने मगरिब की नमाज़ की अहमियत और उसकी नियत, सारी रकात के बारे में ब्लॉग लिखा था। अगर आपने वह ब्लॉग नहीं पढ़ा है तो मगरिब की नमाज़ लिंक पर क्लिक करके आप वह ब्लॉग पढ़ सकते हैं। आज के ब्लॉग में हम आपको मगरिब की नमाज़ का वक़्त और इस नमाज़ को पढ़ने का तरीका बताएँगे ताकि आप को मगरिब की नमाज़ से जुड़ी सारी जानकारी एक ही जगह पर मिल जाये। चलिए शुरू करते हैं,

इससे पहले की हम आपको मगरिब की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका बताएं हम आपको ये बताना चाहते हैं की इस्लाम में जो 5 नमाज़े पढ़ने का हुक्म हैं उन सभी को पाबंदियों से पढ़ना ज़रूरी हैं। ऐसा नहीं की आप पांचों में से कोई एक नमाज़ को पढ़ ले और बाकि को छोड़ दे। सारी नमाज़े वक़्त पर पढ़ना ज़रूरी हैं ताकि हम गुनाहों से बच सके और अपनी आख़िरत को सुधार सके। 

मगरिब की नमाज़ का वक़्त 

वैसे तो आजकल हमारे इलाको में मजीद से अज़ान की आवाज़ आ जाती हैं जिससे हमें मालूम चल जाता है की मगरिब की नमाज़ का वक़्त हो गया हैं लेकिन जब हम कहीं ऐसी जगह होते हैं जहाँ दूर दूर तक कोई मस्जिद नहीं हैं न ही अज़ान की आवाज़ की गुंजाईश रहती हैं उस दौरन हमें मगरिब की नमाज़ का वक़्त मालूम नहीं चल पाता। तब हम परेशान हो जाते है की आखिर मगरिब का सही वक़्त कब से कब तक रहता है?

मगरिब की नमाज़ का वक़्त सूरज डूबते वक़्त जब आसमान में सफ़ेद रौशनी दिखाई देती हैं तब तक रहता हैं। जब यह सफ़ेद रौशनी दिखना बंद हो जाती हैं तब मगरिब की नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाता हैं। मतलब सूरज डूबने का वक़्त जो हल्का अँधेरा रहता हैं तब आप मगरिब की नमाज़ पढ़ सकते हैं। पूरा अँधेरा होने पर इस नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाता हैं। मगरिब की नमाज़ का वक़्त एक घंटे तक रहता हैं। लिहाज़ा आप कोशिश करिये की इस एक घंटे में आप मगरिब की नमाज़ अदा कर लें। कुछ लोग ये भी कहते है की जब ईशा की अज़ान होती हैं। उससे पहले तक मगरिब की नमाज़ का वक़्त रहता है लेकिन ये सही नहीं। आप कोशिश करिये की पूरा अँधेरा होने से पहले मगरिब की नमाज़ अदा कर लें। अँधेरा होने के बाद फिर आपको इसकी कज़ा नमाज़ पढ़ने पड़ेगी।

मगरिब की नमाज़ में कितनी रकातें होती हैं? 

मगरिब की नमाज़ में कुल 7 रकातें होती हैं जो हम पिछले ब्लॉग में भी बता चुके हैं पिछला ब्लॉग पढ़ने के लिए क्लिक करें

कुल 7 रकातें जो इस तरह हैं, 

3 फ़र्ज़, 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल

अगर आप यह नमाज़ पढ़ने मस्जिद जा रहे हैं तो अज़ान होते ही जल्दी से मस्जिद पहुँच जाये क्यूंकि इस नमाज़ में अज़ान के बाद वक़्त बहुत कम मिलता हैं। अगर मस्जिद आपके घर से थोड़ा दूर है तो हो सकता हैं जब आप जब मस्जिद पहुंचे उस वक़्त नमाज़ शुरू हो जाये और आप जमात के साथ नमाज़ न पढ़ सके। इसलिए बेहतर है अगर मस्जिद घर से दूर है तो घर पर ही नमाज़ अदा कर ले। 

 अगर घर पर ही पढ़ रहे है तो कोई मसला नहीं। 

मगरिब की नमाज़ पढ़ने का तरीका 


3 रकात फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने का तरीका 

सबसे पहले नियत करें, नियत की मैंने 3 रकात नमाज़ फ़र्ज़, वास्ते अल्लाह तआला के (अगर आप मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे हैं तो पीछे इस इमाम के बोल सकते है घर पर पढ़ रहे हैं तो ये लाइन बोलने की ज़रूरत नहीं ) वक़्त मगरिब का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले और सूरह सना पढ़े जो इस तरह हैं "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका" इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। 

उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और सूरह जो आपको याद हो। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से सूरह फातेहा (अल्हम्दु शरीफ) पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद वापिस आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सीधे पैर के पंजो के बल पर बैठ जाये। 

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं। 

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। फिर आप अल्लाहो अकबर बोलते हुए तीसरी रकात के लिए फिर से खड़े हो जाये। 

फिर बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़कर सूरह फातेहा पढ़े। उसके बाद कोई सूरत आपको नहीं पढ़ना हैं, सिर्फ सूरह फातेहा पढ़ना हैं। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये। फिर वापिस अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद आप दरूदे इब्राहिम एक मर्तबा पढ़े। इसके बाद आप दुआ ए मसुरा पढ़े। ये दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेर ले जैसे अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले सीधे हाथ की तरफ फिर उलटे हाथ की तरफ सलाम फेर कर नमाज़ को पूरी करे। इस तरह आपकी 3 रकात नमाज़ फ़र्ज़ हो गयी

2 रकात सुन्नत पढ़ने का तरीका 

नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त मगरिब का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले और सूरह सना पढ़े जो इस तरह हैं "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका" इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। 

उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और जो आपको याद हो। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद वापिस आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं। लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं। 

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े। अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद आप दरूदे इब्राहिम एक मर्तबा पढ़े। इसके बाद आप दुआ ए मसुरा पढ़े। ये दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेर ले जैसे अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले सीधे हाथ की तरफ फिर उलटे हाथ की तरफ सलाम फेर कर नमाज़ को पूरी करे। इस तरह आपकी 2 रकत नमाज़ सुन्नत हो गयी। 

2 रकात नमाज़ नफ़्ल पढ़ने का तरीका 

इस नमाज़ में सिर्फ आपको नियत में कुछ बदलाव करना हैं बाकि जैसे आपने 2 रकात सुन्नत पढ़ी वैसे ही 2 रकात नफ़्ल पढ़नी है।

2 रकात नफ़्ल नमाज़ की नियत 

नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ नफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त मगरिब का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले और सूरह सना पढ़े। बाकि जो तरीका ऊपर बताया हैं वही तरीका इस नमाज़ का ही हैं। 


अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

फ़ज़्र की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका

फ़ज़्र की नमाज़ का वक़्त और पढ़ने का तरीका


आज के ब्लॉग में हम बात करेंगे फ़ज़्र की नमाज़ के बारे में। मेरे प्यारे इस्लामी भाइयों और बहनों आजकल की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हम इतना मशगूल हो गए हैं की अल्लाह की इबादत के लिए वक़्त नहीं निकाल पाते। जिस वजह से हम अपनी औलादों को भी नमाज़ के बारे में बता नहीं पाते। आज का ब्लॉग फ़ज़्र की नमाज़ के ऊपर हैं की फ़ज़्र की नमाज़ क्या होती हैं? इसमें कितनी रकात होती हैं? और हम इस नमाज़ को किस तरह अदा कर सकते हैं? चलिए ब्लॉग को शुरू करते हैं।

फ़ज़्र की नमाज़ क्या होती हैं?

जैसा की हम सभी जानते हैं की इस्लाम में 5 वक़्त की नमाज़े मुसलमानों पर फ़र्ज़ हैं उनमें से जो सबसे पहली नमाज़ हैं उसे फ़ज़्र की नमाज़ कहा जाता हैं। यह नमाज़ बहुत अफ़ज़ल नमाज़ है अगर आप इस नमाज़ को अदा करते है तो आपका पूरा दिन अच्छे से निकलता हैं और आप पुरे दिन काफी सारी बालाओं से महफूज़ रहते है।

फ़ज़्र की नमाज़ का वक़्त 

इस नमाज़ का वक़्त सूरज की पहली किरण के निकलने से कुछ देर पहले रहता हैं यानि की अगर आपके यहाँ 6 बजे सूरज की पहली रौशनी निकाल जाती हैं तो आप फ़ज़्र की नमाज़ उससे पहले पढ़ ले सूरज की रौशनी निकलते है इस नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाता है। आमतौर पर हमारे इलाको में देखा जाता हैं की अभी गर्मियों के मौसम में फ़ज़्र की नमाज़ के लिए अज़ान 4 बजकर 30 मिनट पर हो जाती हैं और 5 बजे से पहले नमाज़ पढ़ ली जाती है क्यूंकि सुबह करीब 6 बजे तक सूरज की रौशनी निकाल जाती हैं और इस नमाज़ का वक़्त ख़त्म हो जाता है।

लिहाज़ा आप कोशिश करिये की जब अज़ान हो तो जल्दी से वज़ू करके नमाज़ अदा कर ले नहीं तो आपकी नमाज़ छूट जाएगी और आपको फिर कज़ा पढ़ने पड़ेगी। सर्दियों के मौसम में फिर इस नमाज़ का वक़्त बदल जाता हैं। फिर भी आप को फ़ज़्र की नमाज़ का वक़्त जानना हो तो आप आस पास की मस्जिद में जाकर इस नमाज़ के वक़्त का पता लगा सकते है क्यूंकि कई इलाकों में हम अज़ान की आवाज़ से नमाज़ के लिए उठ जाते है लेकिन अगर आस पास मस्जिद नहीं हैं तो हम अज़ान नहीं सुन पाते और नमाज़ पढ़ने के लिए उठ नहीं पाते। बेहतर है अगर आपके आस पास मस्जिद नहीं है तो आप वक़्त पता करके मोबाइल में अलॉर्म रख दे और सही वक़्त पर नमाज़ के लिए उठ जाये। 

फ़ज़्र की नमाज़ में कितनी रकात होती है?

फ़ज़्र की नमाज़ में 4 रकात होती हैं। पहली 2 रकात सुन्नत होती है और आखरी 2 रकात फ़र्ज़ होती है इन दोनों रकात को पढ़ने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगता हैं लिहाज़ा आप इस नमाज़ को पढ़ने में सुस्ती न करे।

फ़ज़्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका 

सबसे पहले वज़ू करले अगर आप सोहबत या हमबिस्तरी की हालत में नापाक हो गए हैं तो आप पहले ग़ुस्ल कर ले ग़ुस्ल का तरीका जानने के लिए क्लिक करे। ग़ुस्ल या वज़ू करके किसी पाक जगह चादर या जानमाज़ बिछा कर काबा की तरफ मुँह करके खड़े हो जाये और नियत करे 2 रकात नमाज़ सुन्नत की जो इस तरह हैं,

2 रकात नमाज़ सुन्नत की नियत 

नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ सुन्नत, वास्ते अल्लाह तआला के वक़्त फ़ज़्र का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले और सूरह सना पढ़े जो इस तरह हैं "सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबा रकस्मुका व तआला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका" इसके बाद आप अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम बिस्मिल्लाहीर्रहमानिररहीम पढ़े। 

उसके बाद सूरह फातेहा पढ़े। सूरह फातेहा पढ़ने के बाद कोई एक सूरह पढ़े जैसे कुल्हुवल्लाह, या कुल अऊजु बिरब्बिल फलक या कोई और जो आपको याद हो। सूरह पढ़ने के बाद आप अल्लाहो अकबर कहते हुए रुकू में जाये रुकू में जाने के बाद 3 मर्तबा "सुबहान रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इस वक़्त आपको अपनी नज़र अपने पैर के अंगूठे पर रखनी हैं। इसके बाद आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर बोलते हुए सजदे में जाये। सजदे में इस तरह जाये की आपका सीधा घुटना पहले ज़मीन पर लगे। फिर सजदे में 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 3 बार सुबहाना रब्बी अल आला पढ़ने के बाद फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए उठे और वापिस सजदे में जाये। वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। 

आप फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए खड़े हो जाये और हाथ बांध ले और फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़े और उसकी बाद कोई दूसरी सूरह जो आपको याद हो वो पढ़े। उसके बाद फिर से अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाये। रुकू में जाने के बाद वापिस 3 मर्तबा "सुबहाना रब्बी अल अज़ीम" पढ़े। इसके बाद वापिस आप "समीअल्लाहु लिमन हमीदह" कहते हुए रुकू से खड़े हो जाये और दोबारा रब्बना व लकल हम्द कहते हुए उसके बाद अल्लाहो अकबर कहते हुए सजदे में जाये। सजदे में वापिस 3 मर्तबा सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े फिर वापिस अल्लाहु अकबर कहते हुए दोबारा सजदे में सुबहाना रब्बी अल आला पढ़े। फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए बैठ जाये।

ध्यान रहे आप जब बैठे तो सीधे पैर के अंघूठे के बल पर पांचो अँगुलियों समेत बैठे। उल्टा पैर आप ज़मीन पर टिका सकते हैं। अगर कोई परेशानी आ रही हैं इस तरह बैठने में या अंगूठा हिल जाता है तो कोई मसला नहीं। लेकिन जानबूझकर अंगूठा हिलाना या दोनों पैर ज़मीन पर टिका कर बैठना गलत हैं। 

फिर आप अत्तहिय्यात पढ़े अत्तहिय्यात पढ़ने के दौरान आपको अशहदु अल्लाह अल्फ़ाज़ आते ही शहादत की ऊँगली को उठाना हैं। अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद आप दरूदे इब्राहिम एक मर्तबा पढ़े। इसके बाद आप दुआ ए मसुरा पढ़े। ये दुआ पढ़ने के बाद सलाम फेर ले जैसे अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले सीधे हाथ की तरफ फिर उलटे हाथ की तरफ सलाम फेर कर नमाज़ को पूरी करे। इस तरह आपकी 2 रकत नमाज़ सुन्नत हो गयी। 

2 रकत नमाज़ फ़र्ज़ की नियत 

जैसे आपने 2 रकात सुन्नत पढ़ी उसी तरह आपको फ़र्ज़ नमाज़ भी पढ़नी है। बस इसमें नियत में मामूली से बदलाव हैं जो इस तरह हैं, 

नियत की मैंने 2 रकात नमाज़ फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के(अगर आप मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे हैं तो पीछे इस इमाम के बोल सकते है घर पर पढ़ रहे हैं तो ये लाइन बोलने की ज़रूरत नहीं ) वक़्त फ़ज़्र का, मुँह मेरा काबा शरीफ की तरफ और फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हाथ उठा कर अपने कानों तक ले जाये फिर दोनों हाथों को नाफ़ के नीचे बांध ले। फिर जो जो आयतें और सूरह और तरीका हमने सुन्नत नमाज़ में पढ़ने के लिए बताया हैं वही तरीका अपनाये इस तरह आपकी फ़र्ज़ नमाज़ भी हो जाएगी। 

इंशाल्लाह यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आपको फ़ज़्र की नमाज़ को पढ़ने से जुड़ी मुश्किलात नहीं आएगी। अल्लाह हम सबको पंजवक्ता नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ अता फरमाए आमीन। 

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