क़यामत का मतलब वह दिन जिस दिन पूरी दुनिया ख़त्म हो जाएगी। आज हम दुनिया की रंगो रौनक में ऐसे खो गए हैं की अपनी मौत और आख़िरत को भूल बैठे है। आज इंसान सिर्फ उसी के बारे में सोचता हैं जो उसके सामने हो रहा हैं। या जो चल रहा हैं। और जो हकीकत आँखों से ओझल हैं उन्हें भूल बैठा हैं। कहने का मतलब ये हैं की इंसान सिर्फ दुनियावी मौज मस्ती में मगन हैं। उसे अपनी आख़िरत का बिलकुल ख्याल नहीं हैं। इंसान की यही भूल और लापरवाही इंसान को जहन्नम के रास्ते तक ले जाती हैं। हमें जिन जिन हकीकतों पर ईमान लाना ज़रूरी हैं उनमें से एक क़यामत भी एक हक़ीक़त हैं और जो क़यामत की हकीकत को ना माने वो मुसलमान नहीं।
कभी आपने सोचा के आखिर क़यामत हैं क्या? क्या आपने इसके बारे में कभी जानने की कोशिश की? अल्लाह ने हमारी हिदायत के लिए क़ुरान मजीद नाज़िल फ़रमाया। उसमें जगह जगह अलग अलग अंदाज़ में क़यामत के बयान मौजूद हैं। हमें वक़्त निकालकर क़ुरान में मौजूद क़यामत के बारे में जो बयान मौजूद हैं उन्हें पढ़कर समझना चाहिए की आखिर क़यामत के दिन हमारा क्या हाल होगा।
सुरह ज़िलजाल में अल्लाह ने फ़रमाया ! जब ज़मीन पूरी ताकत से हिला दी जाएगी और ज़मीन पर से पल पल में उसमें मौजूद सारी चीज़े ख़त्म होने लगेगी। उस क़यामत के दिन इंसान कहेगा यह क्या हो रहा हैं? ज़मीन को क्या हो गया? उस दिन अल्लाह पाक के हुक्म से ज़मीन अपनी सारी खबरे बयान कर देगी। लोग अपनी अपनी कब्रों से निकल कर एक जगह जमा होंगे वहां उनके आमाल दिखाए जायेंगे। जो उन्होंने दुनिया में किये होंगे। उस दिन हर चीज़ का हिसाब होगा। हर नेकी और बदी का हिसाब होगा। मतलब यह के इंसान यह न समझ बैठे की दुनिया में जो चाहे कर गुज़रों कोई हिसाब किताब लेने वाला कोई नहीं। मगर क़यामत के दिन हर काम जो अपने दुनिया में किये उसका हिसाब होगा।
क़यामत के बारे में सूरए हज में फ़रमाया ! क़यामत का दिन बड़ा खौफनाक होगा। उस दिन इतनी घबराहट होगी की दूध पिलाने वाली अपने प्यारे दूध पीते बच्चे को भी भूल जाएगी। यहाँ तक की पेट में से बच्चे गिर जायेंगे। लोग मदहोश दिखाई देंगे, लेकिन वह किसी नशे में नहीं होंगे बल्कि क़यामत के झटके से उनके दिल पर ऐसा असर होगा की वह सब कुछ भूल जायेंगे। उस दिन अल्लाह का ऐसा अज़ाब देखने को मिलेगा जिसके बारे में सोचते ही रोंगटे खड़े हो जाये।
सूरए हाक्क में फ़रमाया जब पहली बार सूर (एक सींग) फूंका जायेगा तो एक ही चोट में ज़मीन और पहाड़ टूट टूट कर बिखर जायेंगे और क़यामत आ जाएगी। आसमान फट जायेगा और बिखर जायेगा। उसके किनारो पर फ़रिश्ते होंगे। उस दिन 8 फ़रिश्ते अल्लाह के अर्श को उठाये होंगे। उस दिन सभी अल्लाह के सामने पेश किये जायेंगे। तुम्हारा कोई राज़ अल्लाह से छुपा ना रहेगा।
दूसरी बार जब सूर फूंका जायेगा तो रूहें अपने अपने बदन में वापिस आ जाएगी। लोग ज़िंदा होकर खड़े हो जायेंगे। नबियों और गवाहों को लाया जायेगा और सब के फैसले सुनाई दिए जायेंगे जिसने जैसा दुनिया में किया उसका वैसा अंजाम होगा।
सुरह यासीन में फ़रमाया की क़यामत के दिन लोगो के मुँह बंद कर दिए जायेंगे। वह कुछ बोल न सकेंगें सिर्फ उनके हाथ पैर बात करेंगे और गवाही देंगे की हमने ज़मीन पर यह काम किये।
इस आयत से पता चलता हैं की आदमी अपने गुनाह लोगो से छुपा सकता हैं लेकिन अपने आप से नहीं छुपा सकता। यही वजह हैं की उसके बदन का हर हर हिस्सा उसके खिलाफ क़यामत में गवाही देगा। सब गवाही उसके खिलाफ होगी। इंसान के हर गुनाह का हिसाब अल्लाह के पास रहेगा भले ही उसने दुनिया में कितने ही लोगो से अपना गुनाह छुपाया हो।
क़यामत आने से पहले हमें उसकी कई निशानियां दुनियां में देखने को मिल जाएगी। जो बहुत ही खौफनाक होगी। कुछ निशानियां आज भी हम दुनिया में देख रहे हैं। लेकिन लोग अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे और गुनाह पर गुनाह किये जा रहे हैं। उन्हें अपनी आख़िरत का बिलकुल भी खौफ नहीं। उनका अंजाम आख़िरत में इतना दर्दनाक होगा की अगर वह सपने में भी वह देख ले तो सदमे में आ जाये।
बहरहाल हमें चाहिए की आज हम जो भी गलत चीज़े हमारे आस पास देख रहे हैं या हम खुद ही उसे कर रहे हैं तो हम उसे रोकने की कोशिश करें। गुनाहो से बचे। अपने आस पास हो रही गलत चीज़ो घटनाओं को रोके और अल्लाह से अपने गुनाहो की माफ़ी मांगे ताकि आप हम अपनी आख़िरत सुधर सके। क्यूंकि दुनियावी ज़िन्दगी तो एक न एक दिन ख़त्म हो जाएगी। कोई दुनिया में अमर नहीं रह सकता, लेकिन उसके बाद की जो ज़िंदगी हैं वही इंसान की असली ज़िन्दगी हैं। इसलिए अल्लाह से दुआ करते रहे, नमाज़ कायम रखे और गुनाहो से बचे अल्लाह हाफिज ।