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सदक़ा करने के फायदे (Benefits Of Sadqa)

सदक़ा करने के फायदे (Benefits Of Sadqa)

किताबों में आया हैं की एक बार हज़रत बीबी फ़ातिमा बीमार हो गयी I हज़रत अली शेरे खुदा आपके पास आये तो आपने उनसे पूछा- आपको किसी चीज़ के खाने की ख्वाहिशें हो तो बताओ? बीबी फ़ातिमा ने फ़रमाया ! इस वक़्त मेरा अनार खाने का मन कर रहा हैंI बीबी फ़ातिमा की ख़्वाहिश सुनकर हज़रत अली दिल ही दिल में तड़प उठेI क्यूंकि उनके पास अनार खरीदने के पैसे नहीं थेI बहरहाल आप बहार निकले और किसी तरह पैसो का इंतेज़ाम करके बाजार पहुंचे और एक अनार खरीद कर घर की तरफ लौट ही रहे थे की रास्ते में एक फ़क़ीर मिला I जिसके दोनों हाथ नहीं थे और वह काफी बीमार लग रहा थाI उस फ़क़ीर को देख कर आप ठहर गएI फ़क़ीर के पास रुकते ही उस फ़क़ीर ने वह अनार खाने के ख़्वाहिश की I उस वक़्त हज़रत अली सोच में पड़ गए की यह अनार तो वह अपनी बीवी हज़रत फ़ातिमा के लिए ले जा रहे थे और यह फ़क़ीर भी अब यह अनार मांग रहा हैं I

आपने उस वक़्त उस बीमार फ़क़ीर को मायूस करना मुनासिब नहीं समझा और वह अनार उसे अपने हाथो से खिला दिया I वह बीमार फ़क़ीर आपसे बड़ा खुश हुआ I जिसकी ख़ुशी देखकर आपको भी बड़ा सुकून मिला I खाली हाथ दिल में न जाने क्या क्या सोचते हुए आप घर पहुंचे तो आपने देखा की बीबी फ़ातिमा बिलकुल ठीक होकर आराम से बैठी हुई हैं I आपने बाजार जाने और वापिस आने का सारा हाल बीबी फ़ातिमा को सुनाया तो आपने तसल्ली देते हुए फ़रमाया ! आपको घबराने की ज़रूरत नहीं I उधर आपने मेरे लिए ख़रीदा अनार उस बीमार को खिलाया और इधर अल्लाह ने मुझे सेहत अता फरमा दी, अब मेरे दिल में अनार खाने की तमन्ना ही न रही ये सब सुनकर हज़रत अली बड़े खुश हुए I

इतने में किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी हज़रत अली ने पूछा कौन? बाहर से जवाब मिला सलमान फ़ारसी I  आपने दरवाज़ा खोला तो देखा की हज़रत सलमान कपड़े से ढका हुआ एक थाल लेकर हाज़िर हैंI हज़रत अली ने पूछा यह क्या हैं? और यह कहाँ से आया है? हज़रत सलमान ने जवाब दिया अल्लाह की तरफ से रसूले खुदा की खिदमत में आया था और अल्लाह के रसूल ने इसे हदिया के तौर पर आपके पास भेजा हैंI आपने कपडा उठा कर देखा तो उसमे नौ अनार थे I हज़रत अली ने फ़रमाया अगर यह हदिया अल्लाह की तरफ से आया होता तो इस में दस अनार होते क्यूंकि अल्लाह पाक एक के बदले कम से कम दस तो अता फरमाता ही हैंI आपकी यह बात सुनकर हज़रत सलमान मुस्कुरा दिए और अपनी आस्तीन में छुपाया एक और अनार थाल में रखते हुए फ़रमाया - हज़रत अली ! मैने आपको आज़माने के लिए ऐसा किया था I

सदक़ा एक नेअमत हैं I यह बहुत सारी बालाओं को टाल देता हैं I इसलिए सदक़ा करते रहने चाहिए I अल्लाह पाक बड़ा रहीम व करीम हैं वह अपने बन्दों को उनकी नेकियों का सवाब बढ़ा चढ़ा कर अता फरमाता हैं शर्त यही हैं की नियत अच्छी हो I हम जो कुछ भी करे या दे वह अल्लाह की रज़ा के लिए करे ताकि हमें हमारी नेकियों का भरपूर सवाब मिले और अल्लाह पाक भी राज़ी हो जाये I 

ग़ुस्ल करने का तरीक़ा (Gusl Ka Tarika in Hindi)

ग़ुस्ल करने का तरीक़ा (Gusl Ka Tarika in Hindi)


इस्लाम पाक व साफ़ मज़हब हैं। वह पाकीज़गी को पसंद करता हैं। जहाँ क़ुरान व हदीस में रूह को पाक व साफ़ करने रखने के तरीके बताये गए हैं, वही बदन को भी पाक साफ़ रखने की सख्त ताकीद आयी हैं। बदन को साफ़ पाक रखना भी ईमान का एक अहम हिस्सा हैं, क्यूंकि बदन की पाकी के बिना कोई इबादत अदा व मकबूल नहीं हो सकती।

पाकी नापाकी के सिलसिले में सही जानकारी न होने की वजह से अक्सर लोग बहुत सी नेकियों से महरूम रह जाते हैं। आपने खुद सुना होगा की किसी को नमाज़ के लिए मस्जिद चलने के लिए कहा तो जवाब मिला अरे साहब ! चलता तो ज़रूर लेकिन क्या करुँ नापाक हो गया हूँ। कपड़ो पर छींटे लग गए हैं। मालूम होना चाहिए की नापाक पानी या पेशाब के छींटे लगने से आदमी ऐसा नापाक नहीं हो जाता की वह नहाये बिना नमाज़ नहीं पढ़ सकता। ऐसा आदमी बदन या कपड़े पर लगे छींटो को धोकर पाक हो जायेगा। नहाने की ज़रूरत नहीं सोचिये छोटी सी नादानी से कितना बड़ा नुकसान होगा।

हाँ ग़ुस्ल करना बेहद ज़रूरी हैं सवाल आता हैं कब? जवाब हैं हमबिस्तरी के बाद, या एहतलाम हो जाने पर इसी तरह औरत जब माहवारी से फ़ारिग़ हो जाये तब नहाना वाजिब हो जाता हैं। ऐसा ग़ुस्ल वाजिब हो जाये तो सबसे पहले यह ध्यान रहे की नापाक कपडा पहन कर हरगिज़ न नहाये बल्कि उसे उतर कर पाक कर ले। बदन पर जहाँ नापाकी लगी हैं, उसे अच्छी तरह धो डालें इसी तरह अगर पेशाब करने के बाद पानी से पाकी नहीं हासिल की हैं तो वह चड्डी, पायजामा, लुंगी या पेंट पहन कर न नहाये। उसे धोकर पाक कर ले वर्ना उसकी नापाकी पानी के साथ फैल कर पुरे बदन तक पहुँच जाएगी।

पाकी हासिल करने और पाक होने की नियत से ग़ुस्ल करे। सबसे पहले दोनों हाथ कलाइयों तक अच्छी तरह धो ले, बदन पर लगी नापाकी दूर कर ले और तीन बार इस तरह कुल्ली करे की पानी हलक तक पहुँच जाये। इसी तरह तीन बार नाक के अंदर पानी डालकर हल्की साँस से ऊपर खींचे की पानी नाक की ऊपरी हड्डी तक पहुँच जाये। वहां पानी पहुंचाकर निकाले अगर लापरवाही बरती और पानी ऊपर तक नहीं चढ़ाया तो फिर ग़ुस्ल नहीं होगा।

कुल्ली करने और नाक में पानी चढ़ाने के बाद वज़ू कर ले और फिर बदन पर पानी डालें। पहले दाहिने तरफ फिर बायीं तरफ पानी डालकर मले और इतना ध्यान रखे की बाल बराबर भी जगह कही सुखी न रहने पाए। सर व दाढ़ी के बालो की जड़ो तक पानी पहुँचाना फ़र्ज़ हैं। सर्दियों में खास ध्यान रखे क्यूंकि पानी बड़ी मुश्किल से अंदर पहुँचता हैं। इसी तरह पाँव की अंगुलियां और नाफ में अंगुली घुमा कर पानी पहुंचाए। औरतो को चाहिए की नहाते वक़्त अपने कान व नाक के ज़ेवरों को घुमा लिया करे ताकि पानी सुराख़ में पहुँच जाये वर्ना पाक नहीं होगी।

एक बार बदन गीला करने के बाद साबुन वगैरह लगा कर फिर पुरे बदन पर पानी बहाये ताकि साबुन वगैरह धुल कर साफ़ हो जाये और फिर आखिर में मैल वगैरह छुड़ा कर पुरे बदन पर पानी बहाये। इस तरह बहाये की बदन के हर हर हिस्से से बहकर निचे गिर जाये। बदन से पानी बाह जाना ज़रूरी हैं। बदन गीला करना काफी नहीं।

एक बात का ध्यान रखे, ऐसी जगह बैठ कर न नहाये जहाँ ग़ुस्ल का पानी जमा हो जाता हैं। कुछ ऊँची जगह होनी चाहिए ताकि पानी बह जाया करे। इसी तरह अगर लोटे बाल्टी से नहा रहे हो तो इस बात का ख्याल रखे की पानी के छींटे बाल्टी में न पड़ने पाए वर्ना पानी नापाक हो जायेगा और वह पानी नहाने के काबिल नहीं रहेगा।

हमेशा पाक साफ़ रहने की कोशिश करे क्यूंकि अल्लाह पाक अपने बन्दों को पसंद फरमाता हैं जो पाक साफ़ रहते हैं।

पैगम्बर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की कहानी (Story of Prophet Ibrahim)

पैगम्बर हज़रत इब्राहिम की कहानी (Story of Prophet Ibrahim)

बाबुल (ईरान का एक शहर) के लोग बुतों की पूजा किया करते थेI वहां आज़र नाम का एक आदमी बहुत खूबसूरत बुत बनाया करता थाI लोग उसकी बड़ी इज़्ज़त किया करते थेI उसके घराने में एक दिन एक लड़का पैदा हुआ I जिसका नाम इब्राहिम रखा गया I बच्चे की परवरिश एक अमीरज़ादे की हैसियत से होने लगी I बच्चा तेज़ी से बढ़ने लगा I बचपन से ही उसने अपने घर में मूर्तियों का कारखाना देखना शरू कर दिया I बच्चा कुछ बड़ा हुआ तो सोचने लगा यह सब क्या हैं?लोग इसका क्या करेंगे? कुछ और बड़ा होने पर पता चला की घर में बनने वाली यह मूर्तियां बुतखानो में पहुँच कर देवता बन जाती हैं I

फिर लोग इनकी पूजा करते हैं बच्चा सोचने लगा, हमारे घर में बनने वाली पत्थर की यह मूर्तियां देवता कैसे हो जाती हैं? चुनांचे एक दिन आपने घर वालो को उनके बारे में कुछ जानकारी हासिल करनी चाही तो जवाब मिला, अभी तुम छोटे हो यह बातें तुम्हारी समझ से बाहर हैंI यही हमारे बाप दादाओं का तरीका हैं, और हम भी उन्ही के तरीको पर अमल करते आ रहे हैंI फिर भी बच्चे यानि हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को तसल्ली नहीं हुई I

इसी तरह देखते सुनते बच्चा बड़ा हो गया I कोई उसे तसल्ली भरा जवाब न दे सका I उसने अपने दिल में सोचा मेरे ख्याल के मुताबिक अगर यह मूर्तियां देवता नहीं हैं, तो फिर दुनिया को पैदा करने वाला और मालिक कौन हैं? किसकी वजह से से ये पूरी कायनात चल रही हैं? इसी सोच में एक रात हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम घर से बाहर आये ऊपर नज़र डाली तो आसमान पर एक तारा बड़ा ज़ोरदार रौशनी बिखेरते हुए नज़र आया I आप सोचने लगे क्या यही खुदा हो सकता हैं? आप अभी कुछ फैसला न कर पाए की थोड़ी देर बाद चाँद निकल आया I उसकी रौशनी के आगे तारे की रौशनी काम पड़ गयी I आपने फिर सोचा क्या यह खुदा होगा? रात बीतती रही यहाँ तक की सुबह की सफेदी ज़ाहिर हुई और थोड़ी देर बाद सूरज निकल आया सूरज को देखकर आपने मन में सवाल किया, यह तो तारे और चाँद से भी ज़्यादा रौशनी वाला और ताकतवर नज़र आ रहा हैं, तो क्या यह खुदा होगा?

शाम होते होते सूरज की रौशनी भी कम हो गयी और सूरज डूब गया फिर आपने एलान फ़रमाया यह सब खुदा नहीं बल्कि खुदा की मखलूक हैंI  इन सबको पैदा करने वाला और सारे जहाँ का पालनहार ही खुदा हैंI मै उसी पर ईमान रखता हूँ, उसे ही अपना माबूद मानता हूँ I चाँद तारो और सूरज की पूजा करने वाले और उन्हें अपना खुदा मानने वाले गलत हैंI

इस तरह आप हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम हकीकत की जिस मंज़िल पर पहुँच चुके थे, और लोगो को भी वहाँ तक पहुँचाना चाहते थेI  फिर उन्होंने लोगो को एक खुदा के बारे में समझाना शुरू कर दिया, लेकिन लोग बिन देखे खुदा की इबादत करने के लिए राज़ी नहीं हुए I क्यूंकि वह बरसों से जिनकी पूजा करते चले आ रहे थे, उन्हें छोड़ना आसान नहीं था I आपने उन्हें बहुत समझाया लेकिन लोग उस खुदा को मानने के लिए तैयार न हुए I इस बात की वजह से लोगो ने आपके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया I यहाँ तक की इस बात से खफा होकर उस वक़्त वहाँ के बादशाह ने आपको आग के दहकते हुए अंगारो में डाल दिया I आग के दहकते अंगारो में डालने के बावजूद आग आपको जला न सकी I क्यूंकि आप को खुदा पर पूरा भरोसा था और खुदा ने आपको जलने से बचा लिया I

आपने हक़ की राह में बड़ी बड़ी कुर्बानियां पेश फ़रमाई हैंI अल्लाह की राह में उसकी रज़ा के लिए आपने अपना वतन तक छोड़ दिया I आपने अपने चहिते बेटे को अल्लाह राह में कुर्बान करने को तैयार हो गए I लेकिन खुदा का करिश्मा ऐसा था की ऐसा होने नहीं दिया I इसी करिश्मे की याद में आज बकरा ईद का त्यौहार मनाया जाता हैं I अल्लाह पाक ने आपको हर इम्तेहान में कामयाबी और दुनिया व आख़िरत की सुखरूई बख्शी I आपको खुदा की और से पैगम्बर का दर्जा दिया गया I

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