उमराह करने की शुरुआत कब हुई थी?
उमराह पहली बार 629 ईस्वी में प्यारे नबी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने 2000 अनुयायियों के साथ किया था। उस वक़्त उमराह करने में आपको बहुत मुश्किलें आये थी। आपका उमराह करने का मकसद अल्लाह से गुनाहो की माफ़ी अल्लाह को खुश करने के मकसद से किया था।
हज और उमराह में क्या फर्क होता हैं?
हर मुसलमान पर हज फ़र्ज़ हैं जिसे हर मुसलमान को करना ज़रूरी हैं लेकिन सिर्फ उन पर जो सेहतमंद हैं और आर्थिक रूप से ताकतवर हैं। दूसरी तरफ उमराह हज की तरह फ़र्ज़ नहीं बल्कि सुन्नत हैं। हज करने का एक वक़्त फिक्स होता हैं यानि हज इस्लामी कैलेंडर के 12 वे महीने धू अल-हिज्जा की आठवीं तारीख से शुरू होता हैं जबकि उमराह साल में कभी भी किया जा सकता हैं लेकिन रमज़ान के महीने में उमराह करना सबसे अच्छा माना जाता हैं।
उमराह कितने दिन का होता हैं?
उमराह करने के लिए करीब 7 से 12 दिन लगते हैं उमराह के लिए कितने दिन चाहिए वह आपके ट्रेवल एजेंट पर निर्भर करता हैं की वह आपको कितने दिन में उमराह करवा रहे है लेकिन ये मान के चले की आपको करीब 10 से 12 दिन तो उमराह के लिए चाहिए ही होंगे। हर ट्रेवल एजेंसी का उमराह का पैकेज होता हैं किसी के 7 दिन का होता हैं तो किसी के 10 दिन का या उससे 2 से 3 दिन ज़्यादा इसके लिए आप जिस भी ट्रेवल एजेंसी के माध्यम से उमराह करने जा रहे हैं उनसे जानकारी ले सकते हैं।
उमराह करने के लिए किन किन चीज़ो की आवश्यकता होती हैं?
अगर आप सऊदी अरब के अलावा किसी और देश के नागरिक हैं तो आपके पास पासपोर्ट होना ज़रूरी हैं। आपको हवाई जहाज़ के माध्यम से सऊदी अरब पहुंचना होता हैं। जो सऊदी अरब के नज़दीकी देश हैं वह कार के माध्यम से सऊदी अरब पहुँच सकते हैं। उससे पहले आपको वहां जाने के लिए वीज़ा के लिए आवेदन करना पड़ता हैं। आवेदन करने से पहले आपके पास सारे कागज़ात या डाक्यूमेंट्स सही होना चाहिए जैसे आपका ID कार्ड पासपोर्ट इत्यादि। वीज़ा आने के बाद आप उमराह के लिए सऊदी अरब जा सकते हैं। उम्र की सीमा की बात करें तो आपकी उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच होना चाहिए लेकिन सऊदी सरकार ने नियम में बदलाव किये हैं और उसके मुताबिक एक पांच साल का बच्चा भी अपने माँ बाप या रिश्तेदार के साथ उमराह करने जा सकता हैं।
पहले सऊदी सरकार का नियम था की अगर कोई महिला अगर 45 वर्ष से कम उम्र की हैं तो वह अकेले उमराह नहीं कर सकती या तो वह अपने शौहर के साथ जा सकती हैं अगर शौहर नहीं हैं तो वह अपने भाई या अपने रिश्तेदार मर्द जिससे उसका खून का रिश्ता हो और जिसकी उम्र 17 वर्ष से ज़्यादा हो उसके साथ उमराह के लिए जा सकती हैं लेकिन कुछ साल पहले इस नियम को हटा दिया गया हैं। अभी कोई भी महिला जिसकी उम्र 18 से 65 के बीच हैं वह अकेले उमराह के लिए जा सकती हैं।
उमराह करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना होता हैं?
- आपको एहराम पहन कर उमराह करना हैं याद रखे एहराम आपको अपनी फ्लाइट के निकलने से पहले पहनना हैं।
- आपको एहराम पहनने से पहले अपने नाखूनों और अनचाहे बालों को काटना होगा।
- बिना ग़ुस्ल या वज़ू के एहराम नहीं बांधे न ही क़ुरान की तिलावत करें न ही काबा के आस पास जाएं।
- एहराम की हालत में आप किसी को गाली नहीं दे सकते न ही किसी को हानि पहुंचा सकते हैं। एहराम की हालत में परफ्यूम का इस्तेमाल नहीं करना हैं।
उमराह करने का तरीका
उमराह करने के तीन चरण हैं
- पहला एहराम बांधना।
- तवाफ़ करना (काबा के सात चक्कर लगाना)।
- सफ़ा और मरवा पहाड़ियों के सात चक्कर लगाना जिसे सई़ कहा जाता हैं।
सबसे पहले मीक़ात तक पहुंचे यहाँ मीक़ात का मतलब एक मुख्य सीमा हैं जहाँ से उमराह की शुरुआत होती हैं। मीक़ात में पहुँचने के बाद आप अपने कपड़ो को उतार कर एहराम बांध लें और 2 रकत नमाज़ पढ़े और उसके बाद ये दुआ पढ़े
لَبَّيْكَ اللَّهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ، انَّالْحَمْدَ، وَالنِّعْمَةَ، لَكَ وَالْمُلْكَ، لا شَرِيكَ لَكَ
और अगले चरण के लिए आगे बढे यानि की तवाफ़ के लिए।
दूसरे चरण में आपको मस्जिद अल हरम में दाखिल होना हैं और ये दुआ पढ़ना हैं
بِسْمِ اللَّهِ ، وَالصَّلَاةُ وَالسَّلَامُ عَلَى رَسُوْ لِ اللَّهِ ، اَللَّهُـمَّ افْتَحْ لِيْ أَبْوَابَ رَحْمَتِكَ।
फिर आपको बार बार अल्लाहो अकबर कहते हुए काबा के 7 चक्कर लगाने हैं जिसमे काले पत्थर को चूमना शामिल हैं तवाफ के दौरान यमनी कोने और काले पत्थर के बीच में आते ही ये दुआ पढ़े
رَبَّنَا آتِنَا فِىْ الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِىْ الآخِرَةِ حَسَنَةً وَّقِنَا عَذَابَ النَّارِ
तवाफ़ पूरा करने के बाद आपको 2 रकात नमाज़ पढ़ना हैं। उमराह के दौरान जितना हो सके तलबिया पढ़ना चाहिए जो इस प्रकार हैं
لَبَّيْكَ اللَّهُمَّ لَبَّيْكَ، لَبَّيْكَ لَا شَرِيكَ لَكَ لَبَّيْكَ، انَّالْحَمْدَ، وَالنِّعْمَةَ، لَكَ وَالْمُلْكَ، لا شَرِيكَ لَكَ।
तीसरे चरण में आपको सफा और मारवाह पहाड़ियों पर चढ़ना हैं जिसे सई कहा जाता हैं।
चढाई करते हुए ये दुआ पढ़े अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, वा लिल्लाही एल-हम्द। जब आप पहाड़ी पर पहुंचे तो ये दुआ पढ़े,
إِنَّ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ مِن شَعَائِرِ اللَّهِ ۖ فَمَنْ حَجَّ الْبَيْتَ أَوِ اعْتَمَرَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِ أَن يَطَّوَّفَ بِهِمَا ۚ وَمَن تَطَوَّعَ خَيْرًا فَإِنَّ اللَّهَ شَاكِرٌ عَلِيمٌ
जब आप मस्जिद अल हरम से बाहर निकले तो ये दुआ पढ़े
بِسْمِ اللّهِ وَالصَّلاَةُ وَالسَّلاَمُ عَلَى رَسُولِ اللّهِ، اَللَّهُـمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ مِنْ فَضْـلِكَ، اَللَّهُـمَّ اعْصِمْنِـي مِنَ الشَّيْـطَانِ الرَّجِـيمِ.
हमने पूरी कोशिश की हैं आपको उमराह के बारे में पूरी जानकारी दे सके फिर भी अगर अगर कोई बात बताना हमारे से छूट गया हैं तो हम उसके लिए आपसे माफ़ी चाहते हैं। अगर आप उमराह पर जा रहे हैं या जाने वाले हैं तो आप जिस भी ट्रेवल एजेंसी के माध्यम से जा रहे हैं वह आपको उमराह करवाने में पूरी मदद करते हैं और आपके साथ ही उनका एक गाइड आपके साथ रहता हैं जो आपको उमराह करने का पूरा तरीका बताता हैं ताकि आप से कोई भी गलती न हो।