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इस्लाम में बहन बेटी की हदीस (Behen Beti Ki Hadees in Islam)

इस्लाम में बहन बेटी की हदीस (Behen Beti Ki Hadees in Islam)

बेटियां हमारे लिए अल्लाह की नेअमत व रहमत हैं। लेकिन अफ़सोस आज दुनिया ने अपने गलत ख़यालो और रस्मो की वजह से उन्हें अपने लिए मुसीबत समझ लिया हैं। इस्लाम ही दुनिया का वाजिब मज़हब हैं। जिसने माँ बहनो और बेटियों की इज़्ज़त अफ़ज़ाई की और उनकी परवरिश तालीम व तर्बियत और खिदमत पर दुनियां व आख़िरत की बशारते सुनाई। लेकिन आज की नयी पीढ़ी में आज उन्हे पैदा होने से पहले ही मारकर उन्हें जीने के हक़ से महरूम किया जा रहा हैं। जिस की खबरे हम आये दिन सुनते रहते हैं। आइये इस माहौल में हम पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के पैग़ामे रहमत सुने और अपनी इस्लाह की कोशिश करे।

हज़रत बीबी आईशा रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं एक दिन एक औरत अपनी दो बच्चियों को लेकर मेरे पास आयी। मैंने उसे तीन खजूरे दी उसने एक एक खजूर अपनी बच्चियों को दे दी और शायद एक अपने पास रख ली। दोनों बच्चियों वह खजूरे खा ली तो उस औरत ने अपनी खजूर दोनों बच्चियों को दे दी। उनकी यह बात जब मैंने प्यारे रसूल को बताई तो आपने फ़रमाया, अल्लाह ने उन दोनों बच्चियों की वजह से उस औरत पर जन्नत वाजिब कर दी या उसे जहन्नम  से आज़ाद कर दिया।

देखा आपने बेटी की मोहब्बत की बदौलत माँ जन्नती बन गयी। इस्लाम ने किस कद्र बच्चियों और औरतो का मर्तबा बढ़ाया। अल्लाह के प्यारे रसूल ने फ़रमाया जिसके दो बेटियां हो। जब तक उसके पास रहे वह उनके साथ अच्छा बर्ताव करे, उनकी अच्छी तालीम व तर्बियत करे उनका अच्छी जगह निकाह कराये। तो वह बच्चियां उसे जन्नत में ले जाएगी। तिर्मिज़ी शरीफ की हदीस हैं अल्लाह के प्यारे रसूल ने फ़रमाया, जिसके दो बच्चियां या बहने हो जब तक वह उसके पास रहे वह उनकी अच्छी तरह परवरिश करे तो ऐसा आदमी जन्नत में दाखिल होगा।

एक और हदीस में अल्लाह के प्यारे रसूल ने फ़रमाया, जिसने अपनी तीन बेटियों की परवरिश अच्छी तरह की, वह जन्नत में मेरे इतने करीब रहेगा जैसे हाथ की यह दोनों अंगुलियां। ऐसे आदमी को दिन में रोज़ा रखने वाले और रात में नमाज़े पढ़ने वाले मुजाहिद जैसा सवाब मिलेगा।

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं। अल्लाह के प्यारे रसूल को मैंने यह फरमाते हुए सुना की जिसके एक बच्ची हो वह उसे ज़िंदा दफन न करे बल्कि उसकी अच्छी परवरिश करे। उसे बेटो से कम न समझे। अल्लाह पाक ऐसे बाप को जन्नत में दाखिल फरमाएगा।

आइये एक हदीस और पढ़ते चले। हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं, हमारे आका ने फ़रमाया जिसके तीन बच्चियां हो और गरीब होने की वजह से उनकी तर्बियत व परवरिश में उसे परेशानियां उठानी पड़े और यह उन सारी तकलीफो को बर्दाश्त करते हुए सब्र से काम ले। अल्लाह पाक बच्चियों के साथ प्यार भरा बर्ताव करने की वजह से उसे जन्नत में दाखिल फरमा देगा।

आज दुनिया जिसे अपने लिए बोझ समझ रही हैं जिसे पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता हैं। जिसे बेटो से कम समझा जा रहा हैं। जिसे उसके हक़ से महरूम किया जा रहा हैं। उसी बहन बेटी की तालीम व तर्बियत और परवरिश करने वालो को जन्नत की बशारत सुनाई जा रही हैं। ऐसा हुक्म व ताकीद दुनिया के किसी और मज़हब ने नहीं दी हैं। और खुद पैगंबरे इस्लाम ने अपनी बेटियों से बेमिसाल प्यार फरमा कर दुनियां वालो को बेटियों से प्यार करने की तालीम दी हैं।
खुदा के लिए बहन बेटियों को बोझ न समझे बल्कि उन्हें अपने लिए अल्लाह की रहमत माने।

सच्चा दोस्त कौन हैं? (Who is True Friend)

सच्चा दोस्त कौन हैं? (Who is True Friend)

दोस्ती एक बहुत बड़ी निस्बत (रिश्ता) हैं। दोस्ती निभाने के लिए बहुत बड़ी क़ुरबानी भी देनी पड़ती हैं। लेकिन आज दोस्ती का मतलब बिलकुल बदल गया हैं। लोग अपनी ज़रूरत और काम के हिसाब से दोस्ती करते हैं, और मतलब निकल जाने के बाद अलग और दूर हो जाते हैं।

बुज़ुर्गो ने फ़रमाया, ऐसे आदमी से दोस्ती मत करो जो तुम्हारी कमज़ोरियाँ ऐब न बताये और तुम्हारी कमज़ोरियों को तुम्हारी खूबियां बताये। बल्कि दोस्त ऐसे बनाओ जो तुम्हे तुम्हारी कमज़ोरियों से ख़बरदार करता रहे ताकि तुम सुधर जाओ और गुनाहो से बच सको। लेकिन आज हाल यह हैं की अगर कोई इंसान उसके दोस्त की गलती या उसके अंदर की कोई बुराई बताये तो पल में लोग उससे मुँह मोड़ लिया करते हैं। और उसे अपना दुश्मन समझने लगते हैं। यही बात इंसान के ईमान को कमज़ोर करने लगती हैं। अगर आपमें कोई बुरी आदत हैं और आपका दोस्त आपको उससे बचाना चाहता हैं तो वह आपके भले के लिए बोल रहा हैं, न की आपको तकलीफ पहुंचा रहा हैं।

आजकल देखा जाता हैं, की अगर कोई इंसान कोई अच्छा बिज़नेस या नौकरी में लग जाता हैं तो उसके दोस्त उससे जलन रखना शुरू कर देते हैं। अगर वो कामयाब हो जाये तो जलते हैं और नाकामयाब हो जाये तो उस पर हँसते हैं। दूसरा अगर कोई शख्स उसके दोस्त से मदद चाहता हैं या उसकी राय चाहता हैं, किसी अच्छी नौकरी के लिए और उसका दोस्त उसके लिए अच्छी नौकरी होते हुए भी कोई बहाना कर रहा हैं या कहे वह उसकी कामयाबी को देखना नहीं चाहता। ऐसा शख्स भी कभी दोस्त नहीं हो सकता। ऐसे लोगो से हमेशा दूर रहे।

लड़कियों में भी यही देखा जाता हैं अगर किसी लड़की की शादी अच्छे घर में हो जाये या उसे अच्छा शोहर मिल जाये तो उसकी सहेलियां उससे दिल ही दिल में नफरत करना शुरू कर देती हैं, की इसको इतना सब कैसे मिल गया। बहुत से दोस्त एक दूसरे के चेहरे और उनके रहन सहन का मज़ाक बनाते हैं। वो ये सोचते हैं की हम इनसे काफी बेहतर हैं। लोग हमें ही देखेंगे। एक तरह से वो आपकी दोस्ती का मज़ाक बना रहे हैं। असल में एक सच्चा दोस्त वह हैं जो अपनी अच्छाई को छुपाकर अपने दोस्त को हमेशा आगे रखें और उसके साथ कदम कदम पर चले। मुश्किल वक़्त में उसका साथ दे।

आजकल किसी का मुश्किल वक़्त आते ही कुछ लोग अपने दोस्तों से छुपते छुपाते नज़र आते हैं। अगर उन्हें याद करो तो बहाना बनाते हैं की फलां मेरे ये काम हैं वो काम हैं। अगर कोई शख्स 50 लोगो से आपके लिए लड़ जाये समझो उसके दिल में आपके लिए बहुत इज़्ज़त हैं। लेकिन अफ़सोस ऐसे लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं।

बहरहाल अच्छा और सच्चा दोस्त वही हैं जो हर हाल में अपने दोस्त का भला चाहे उसकी कामयाबी को अपनी कामयाबी समझे, उसका नुकसान अपना नुकसान समझे,उसके मुश्किल वक़्त को अपना मुश्किल वक़्त समझे यही आपकी ज़िम्मेदारी हैं और यही इस्लाम कहता हैं। अल्लाह पाक हमे इस्लाम के उसूलो पर चलने की तौफीक अता फरमाए आमीन।

इस्लाम में ग़ीबत क्या हैं? What is Gheebat in Islam

इस्लाम में ग़ीबत क्या हैं? What is Gheebat in Islam

पीठ पीछे किसी की बुराई बयां करने को ग़ीबत कहा जाता हैं। यह गुनाहे कबीरा हैं। क़ुरान शरीफ में ग़ीबत करने वाले को अपने मुर्दा भाई का गोश्त खाने वाला जैसा कहा गया हैं। यह बीमारी इतनी आम हो चुकी हैं की लोग इस से बिलकुल नहीं डरते न इसके अंजाम की परवाह करते हैं। ग़ीबत की नसुहात से ईमान की हरारत खत्म हो जाती हैं। मरते वक़्त ईमान खतरे में रहता हैं। ग़ीबत करने वाले की दुआ कबूल नहीं होती। ग़ीबत से नमाज़ और दूसरी इबादतों का नूर खत्म हो जाता हैं। ग़ीबत करना तो ज़िना से भी बदतर गुनाह हैं। गीबत करने वाले को जहन्नम में मुर्दार खाना पड़ेगा।

ग़ीबत के बारे में एक दिन अल्लाह के रसूल ने सहाबा से पूछा क्या तुम जानते हो की ग़ीबत क्या हैं? सहाबा ने अर्ज़ किया, या रसूलल्लाह आप ही बेहतर जानते हो। आपने फ़रमाया तुम अपने भाई के बारे में ऐसी बात करो जो उसे पसंद न हो। सहाबा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह अगर वह बात उसके अंदर हो तो? आपने फ़रमाया इसको ही तो ग़ीबत कहते हैं। अगर वह बुराई उसके अंदर न हो तो उसे इलज़ाम कहा जायेगा।

बहरहाल ग़ीबत बहुत सारी तबहियो की जड़ हैं। इसकी वजह से आज हमारे घर लड़ाई झगड़ो का अखाडा बन गए हैं। आजकल देखा जाता हैं लोगो एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए पीठ पीछे उस शख्स की बुराई करते हैं। हमारे घरो में ही देख लो कोई अपने भाई की बुराई करता हैं तो कोई भाभी की कोई उनके बच्चो की बुराई करता हैं। तो कोई उनके अच्छे रहन सहन की कोई अगर ईमानदारी से ज़्यादा पैसा कमा रहा है तो लोग कहते हैं ये तो हराम का खाता हैं। हर कोई एक दूसरे की बुराई करने में लगा हैं। चाहे वो काम धंधा के मामले में हो या अच्छी नौकरी के मामले में लोग इन हरकतों से बाज़ नहीं आते,क्यूंकि उन्हें अल्लाह का खौफ ही नहीं हैं।

जो लोग ऐसा कर रहे हैं वो मौत के वक़्त बहुत घबराएंगे। उन्हें मौत इतनी आसानी से नसीब नहीं होगी। इस ग़ीबत की वजह से लोग आपस में लड़ रहे हैं। एक दूसरे को मार रहे हैं फिर लोग कहते हैं खुदा हमारी नहीं सुनता। आप जो भी हरकत दिन भर में करते हैं खुदा के पास उन सब हरकतों का हिसाब रहता हैं। आज लोग दूसरे धर्म के लोगो की बुराई करते हैं फलाना इनका धर्म ऐसा हैं वैसा हैं। अगर आप अपने दीन पर ध्यान देंगे तो इंशाल्लाह पूरी कायनात आपके दीन को अपना लेगी।

खुदा के लिए हमे चाहिए की हम अपनी ज़बान पर काबू रखे लोगो की बुराइयाँ करना बंद करे। इस्लाम के उसूलो पर चले ताकि अल्लाह हमें कब्र व जहन्नम के अज़ाब से बचा ले   आमीन।

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