Disabled Copy Paste

दफ़न के बाद कब्र पर अज़ान पढ़ना (Dafan Ke Baad Kabr Par Azan Padhna)

दफ़न के बाद कब्र पर अज़ान पढ़ना

इमाम अहमद, इमाम तबरानी और इमाम बेहकी रहमतुल्लाह अलैह ने जब हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह से रवायत बयान की के जब हज़रत सअद बिन मआज़ रदियल्लाहो अन्हो कब्र में उतर दिए गए और कब्र दुरस्त कर दी गयी तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम काफी देर तक सुभानअल्लाह सुभानअल्लाह पढ़ते रहे। जिसे सुनकर वहां मौजूद सहाबा भी पढ़ते रहे। थोड़ी देर के बाद अल्लाह के रसूल ने अल्लाहो अकबर अल्लाहो अकबर पढ़ना शुरू कर दिया तो यह सुनकर सहाबा भी अल्लाहो अकबर अल्लाहो अकबर पढ़ने लगे। फिर आप सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम तस्बीह (सुभानअल्लाह) और तकबीर(अल्लाहो अकबर) पढ़कर खामोश हुए। थोड़ी देर बाद एक सहाबा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! आप तस्बीह और तकबीर क्यों पढ़ रहे थे? आप रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने उन्हें जवाब दिया की इस नेक आदमी की कब्र तंग हो गयी थी और अल्लाह ने तस्बीह और तकबीर की बरकत से उसकी कब्र को लम्बा और चौड़ा कर दिया।  

इस हदीस से यह साबित हुआ की खुद अल्लाह के रसूल ने मुर्दे की आसानी के लिए दफन के बाद कब्र पर अल्लाहो अकबर का विर्द फ़रमाया हैं। चूँकि यह कलमा अज़ान में 6 बार आया हैं इसलिए यह सुन्नत हैं। यहीं नहीं बल्कि अज़ान में तो इस के अलावा कुछ और भी ऐसे कलमें हैं जो मुर्दे को नकीरैन (मुन्कर और नकीर नाम के 2 फ़रिश्ते जो कब्र में मुर्दो से सवाल जवाब करते हैं) इन दोनों फ़रिश्ते को जवाब देने में आसानी पैदा करते हैं। इसलिए कब्र पर अज़ान पढ़ना मुस्तहब हैं।

जब बंदा कब्र में रखा जाता हैं और दफ़न होने के बाद लोग कब्रिस्तान से निकल जाते हैं तब मुन्कर और नकीर मुर्दे से सवाल करने आ पहुंचते हैं। उस वक़्त शैतान भी वहाँ आ जाता हैं और मुर्दे को गुमराह करने की कोशिश करता हैं। अल्लाह तआला अपने हबीब के सदके में हर मोमिन को शैतान के शर से बचाये। जब फ़रिश्ते मुर्दे से पूछते हैं तेरा रब कौन हैं? तो शैतान मुर्दे को देखकर इशारा करता हैं की तेरा रब में हूँ। इसलिए हुक्म हैं की मुर्दे को दफन करने के बाद उसके लिए दुआ करना चाहिए की अल्लाह उसे शैतान के शर से बचाये। इसी मकसद के लिए दफ़्न के बाद अज़ान पढ़ी जाती हैं क्यूंकि जब अज़ान पढ़ी जाती हैं तो शैतान 36 मील दूर भाग जाता हैं।

अबू दाऊद शरीफ की हदीस हैं अपने मरने वाले दीनी भाई के लिए कलमें की तिलावत करो क्यूंकि खात्मा बिल खैर उसी वक़्त होगा जब मोमिन कलमा पढता हुआ दुनिया से जायेगा इस वक़्त भी शैतान मौजूद होता हैं और मरने वाले को बहकाता हैं। मरने के बाद मुर्दे के लिए क़ुरान,कलमा की तिलवात की और सख्त ज़रूरत होती हैं ताकि रूह शैतानी साये से बच जाये और कब्र से अज़ाब से बच सके। चूँकि ला इलाहा इल्लल्लाह अज़ान में 3 मर्तबा आता हैं, इसलिए दफ़्न के बाद तलकीन की नियत से अज़ान पढ़ना मुफीद और मुस्तहब हैं। अज़ान में कब्र के तीनों सवालों के जवाब मौजूद हैं की मेरा रब अल्लाह हैं, मेरा दीन वह हैं जिसमे नमाज़ दीन का सुतून हैं और अल्लाह के रसूल की रिसालत की गवाही भी अज़ान में मौजूद हैं।

हज़रत सईद बिन मुसैइब फरमाते हैं की मै एक मर्तबा हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहो अन्हो क़े साथ एक जनाज़े मे शरीक हुआ। जब मुर्दा कब्र मे रखा गया तो आपने फ़रमाया बिसमिल्लाह व फ़ी सबिलिल्लाह ! जब कब्र की मिट्टी बराबर की जाने लगी तो आपने फ़रमाया इलाही ! इसे शैतान से बचा और कब्र क़े अज़ाब से महफूज़ रख। अबू दाऊद शरीफ की हदीस हैं, अल्लाह क़े रसूल जब दफ़्न से फ़ारिग होते तो थोड़ी देर बाद कब्र क़े पास ठहरे रहते और लोगो से फरमाते अपने भाई क़े लिए दुआ करो उसकी बख्शीश की दुआ माँगो दुआ करो की फरिश्तों से सवाल जवाब क़े वक़्त मुर्दा शैतान क़े बहकावे में न आये और सारे सवालो क़े जवाब सही से दे दे।

कब्र पर अज़ान देने से मुर्दे को पाँच फायदे नसीब होते हैं।

शैतान क़े शर से हिफाज़त मिलती हैं।

तकबीर की बरकत से आग क़े अज़ाब से निजात मिलती हैं।

सवालों क़े जवाब देने मे आसानी होती हैं।

अज़ान की बरकत से मुर्दा कब्र क़े अज़ाब से सुकून पाता हैं।

अज़ान की बरकत से कब्र की वहशत दूर होती हैं।


इसलिए आप हज़रात से गुज़ारिश हैं हैं जब भी मुर्दे को दफ़न करे तो दफ़न करने बाद अज़ान ज़रूर दे और मुर्दे की बख्शीश क़े लिए अल्लाह से दुआ करे। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

उमराह क्या होता हैं? जानिए उमराह को करने का तरीका

दुनिया भर के लाखो करोड़ो मुस्लिम उमराह करने के लिए सऊदी अरब के शहर मक्का आते हैं। आप उमराह को पवित्र शहर मक्का में काबा की एक छोटी तीर्थयात्र...

Popular Posts