इस्लामी कलैंडर का सातवां महीना रजब का महीना कहलाता हैं। यह महीना बहुत ही बरकत वाला महीना माना जाता हैं। इस महीने में अल्लाह की तरफ से बहुत से बरकतें नाज़िल होती हैं। जो शख्स इस महीने की बरकतें हासिल करने में चूक गया गोया वह इस महीने की फ़ज़ीलत से महरूम रह गया।
रजब का चाँद जब नज़र आता तो अल्लाह के प्यारे रसूल हाथ उठा कर यह दुआ पढ़ा करते "अल्लाहुम्मा बारिक लना फ़ी रजबियुं व शअबाना व बल्लीगना इला शहरे रमज़ान" ।
अल्लाह के प्यारे रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! जन्नत में एक नहर हैं। जिसका नाम रजब हैं। उसका पानी बहुत ही ज़्यादा सफ़ेद हैं। जो आदमी रजब के महीने में रोज़ा रखेगा। अल्लाह पाक उसे उस नहर में सैराब फरमाएगा। जिसका पानी शहद से भी ज़्यादा मीठा और बर्फ से ज़्यादा ठंडा होगा। जो आदमी रजब का रोज़ा रखेगा। उसे जहन्नम की आग कभी नहीं जलायेगी।
एक हदीस के मुताबिक एक बार अल्लाह के प्यारे रसूल कब्रिस्तान तशरीफ़ ले गए। आपने देखा की एक शख्स का कब्र में बड़ा बुरा हाल है। उसकी कब्र जल रही थी। उसका कफ़न आग में खाक हो चूका था। वह शख्स आग में जलते हुए रो रो कर आपसे कहता हैं या रसूलल्लाह ! मुझे दोज़ख की आग जला रही हैं। मुझे इससे आज़ाद कराओ। आपने उसकी आवाज़ सुनकर फ़रमाया ! अगर तू रजब के महीने में एक रोज़ा ही रख लेता तो आज तुझे कब्र का यह अज़ाब झेलना नहीं पड़ता। प्यारे रसूल की यह बात सुनकर आप अंदाज़ा लगा सकते हो की रजब के महीने की कितनी फ़ज़ीलत हैं। जो इस महीने में इबादत और रोज़ा रखने से चूक गया गोया वह शख्स बहुत सारी नेमतों से दूर हो गया।
रजब महीने की इबादतें
इबादत के लिए इस महीने में पांच रातें बहुत अफ़ज़ल हैं। पहली रात,15 वीं रात और महीने के आखिर की तीन रातें। पहली रात में मगरिब की नमाज़ के बाद 20 रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़े। हर रकात में सूरह फातेहा के बाद तीन तीन बार कुल हुवल्लाह शरीफ पढ़े। इसकी बरकत से इंशाल्लाह आपको दीन और दुनिया के बेशुमार फायदे हासिल होंगे।
हज़रत सलमान फ़ारसी रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं, मेरे आका ने एक दिन मुझसे फ़रमाया ! जो मोमिन मर्द या औरत इस महीने के शुरू में मगरिब ईशा के बीच 20 रकत नमाज़ पढ़े और हर रकात में अल्हम्दो शरीफ के बाद 3-3 मर्तबा कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़े तो इसकी बरकत से अल्लाह उसके गुनाहों को माफ़ फ़रमा देगा। उसके आमालो को साफ़ कर देगा और जिन्होंने इस पुरे महीने में अल्लाह की इबादत की तो अल्लाह क़यामत में ऐसे लोगों को शहीदों के साथ उठाएगा और उनके लिए जन्नत वाजिब फ़रमा देगा। उनके लिए जहन्नम की आग हराम फ़रमा देगा और ऐसे मोमिन लोग अल्लाह के महबूब बन्दे बन जायेंगे।
इतनी फ़ज़ीलत सुन लेने के बाद हज़रत सलमान ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! मुझे इस नमाज़ का तरीका बता दीजिये। आपने फ़रमाया ! पहली रात में 10 रकात नमाज़ पढ़ो, हर रकात में सूरह फातेहा के बार 3-3 बार सूरह काफ़िरून और 3-3 बार कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़े 10 रकात पढ़ लेने के बाद हाथ उठा कर यह दुआ मांगो "लाइलाहा इल्लल्लाह वह्दहू ला शरीका लहू लहुल मुल्को व लहुल हम्द युहई व युमीत व हुवा हैयुल ला यमुत बियादिहिल खैर व हुवा अला कुल्ले शैइन कदीर अल्लाहुम्मा ला मानेआ लिमा मनअता वला यनफओ जलजद्द मिनकल जद्द"। इसके बाद जो दुआ मांगोगे इंशाल्लाह कबूल होगी।
फिर रजब की 15 वी रात में दस रकात नमाज़ पढ़े। हर रकात में सूरह फातेहा के बाद 3-3 बार सूरह काफ़िरून और एक एक बार कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़े। नमाज़ के बाद हाथ उठा कर यह दुआ मांगे "लाइलाहा इल्लल्लाह वह्दहू ला शरीका लहू लहुल मुल्को व लहुल हम्द युहई व युमीत व हुवा हैयुल ला यमुत बियादिहिल खैर व हुवा अला कुल्ले शैइन कदीर इलाहन वाहिदन अहदन फरदन वितरन लम यत्तखिज साहिबतों वला वलदा"। इसके बाद दुआ मांगे इंशाल्लाह दुआ कबूल होगी।
फिर आखरी रात में 10 रकात नमाज़ पढ़े। हर रकात में सूरह फातेहा के बाद 3-3 बार सूरह काफ़िरून और 3-3 बार कुल्हुवल्लाह शरीफ पढ़े। फिर नमाज़ के बाद हाथ उठा कर यह दुआ मांगे "लाइलाहा इल्लल्लाह वह्दहू ला शरीका लहू लहुल मुल्को व लहुल हम्द युहई व युमीत व हुवा हैयुल ला यमुत बियादिहिल खैर व हुवा अला कुल्ले शैइन कदीर वसल्लल्लाहो अला सैय्यदना मुहम्मदियूं व आलेहीत त्वाहेरिन वला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम"। फिर रब से जायज़ दुआएं मांगे इंशाल्लाह वह दुआएं कबूल होगी।
सैरुल असरार में लिखा हैं, रजब के महीने में जुमा की नमाज़ के बाद और अस्र के बीच 4 रकात नफ़्ल पढ़े। हर रकात में अल्हम्दो शरीफ के बाद सात मर्तबा आयतल कुर्सी और 5 बार सूरह इखलास पढ़े सलाम फेरने के बाद "ला हौला वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल कबीरिल मुतआल" 25 बार पढ़े फिर "अस्तग़्फ़िरुल्लाहिल लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवल हैयुल कैयुम गफ़्फ़ारुजजुनूब व सत्तारुलओयूब व अतूबो इलैहि" 100 मर्तबा पढ़े। इसके बाद 100 बार दरूद शरीफ पढ़कर दुआ मांगे इंशाल्लाह दुआ कबूल होगी।
किताबुल औराद में हैं, रजब के 27 वीं रात में 12 रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़े नमाज़ के बाद कल्मए तम्जीद, दरूद शरीफ और इस्तिग़फ़ार 100-100 मर्तबा पढ़े। इसके बाद सजदे में सर रख कर दुनिया व आख़िरत की भलाई के लिए दुआ मांगे। इंशाल्लाह वह दुआएं कबूल होगी।
रजब महीने की 27 वीं की रात इबादत में गुज़ारे और दिन में रोज़ा रखे। अल्लाह पाक अपने फ़ज़्ल से एक साल की इबादत का सवाब अता फरमाएगा। लिहाज़ा तमाम मुसलमानों को चाहिए की इस महीने को कोई आम महीना न समझे। ये महीना शुरू होते ही इबादत में लग जाये। खूब इबादत करे और दुआएं मांगे। इंशाल्लाह अल्लाह आपकी हर मुराद पूरी करेगा।
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