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जानिए सूरह कहफ़ की 4 कहानियां और उसे पढ़ने के फायदे

surah kahf in hindi

सूरह अल कहफ़ पवित्र क़ुरान की 18 वीं सूरह हैं। ये क़ुरान के 15 और 16 पारे में मौजूद हैं। यानि के इस सूरह को आप क़ुरान के 15 वे और 16 वे  पारे में पढ़ सकते हैं। सूरह कहफ़ का मतलब होता है गुफा इस सूरह में कुल 110 आयतें, 1583 शब्द और 6425 अक्षर मौजूद हैं। ये मक्का में नाज़िल हुई थी इसलिए इसे मक्की सूरह भी कहा जाता हैं। इस सूरह में कहफ़ नाम एक गुफा में मौजूद लोगो की कहानी से लिया गया हैं। इस सूरह में 4 अलग अलग कहानियों का ज़िक्र आया हैं ये चार कहानियों के नाम इस प्रकार हैं। 

  1. गुफा में रहने वाले लोगों की कहानी
  2. बगीचों वाले अमीर आदमी की कहानी
  3. हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और बुद्धिमान व्यक्ति की कहानी
  4. राजा धुल क़रनैन की कहानी 

इन्हीं 4 अलग अलग कहानियों के बारें में सूरह कहफ़ में बताया गया गया हैं। इन कहानियों को पढ़ कर आप को बहुत बड़ा सबक मिल सकता हैं। इन कहानियों के माध्यम से हमें कुछ ज़रूरी बातें बताई गयी हैं जैसे हमने अपनी जवानी में क्या किया और अपने धर्म का कैसे पालन किया? हमने जो पैसा कमाया वो किस काम में लगाया? जो इल्म हमने हासिल किया उसका इस्तेमाल कैसे और कहाँ किया? आखिर में अपनी ज़िन्दगी में किस तरह बिताया? यही सवाल इन चार कहानियों में बताये गए हैं मतब इन्हीं सवालों के ऊपर वो 4 कहानियां सूरह कहफ़ में बताई गयी हैं। अगर आपको इन सवालों के जवाब चाहिए तो आपको सूरह कहफ़ में मौजूद इन चारो कहानियों को पढ़ना चाहिए। हम इस आर्टिकल में उन चार कहानियों को शार्ट में बताने की कोशिश करेंगे।

पहली कहानी (गुफा में रहने वाले लोगों की कहानी)

पहली कहानी गुफा के लोगों की कहानी हैं। जो अल्लाह पर भरोसा करते थे लेकिन वहां मतलब उनके इलाके के लोगों ने उन्हें उनके घर से निकल दिया क्यूंकि वह एक अल्लाह को मानने लग गए थे। जब वह घर से निकल कर एक गुफा में अल्लाह की इबादत के लिए पहुंचे तब अल्लाह ने उन्हें करीब 300 सालों तक गहरी नींद सुला दिया था। जब वे नींद से जागे तो उन्हें लगा की कुछ घंटे की ही नींद निकलकर वो उठे हो लेकिन अल्लाह ने उन्हें करीब 300 सालों तक गहरी नींद सुलाया जबकि वो इतने लम्बे सालों तक सोये थे। जब वो सोकर उठे तब उन्होंने देखा का वहां रहने वाले सभी लोग ईमान वाले बन गए थे। ये कहानी इस तरह का सबक देती हैं की जब आप अल्लाह पर यकीन करते हैं। तब अल्लाह भी आपकी हिफाज़त करता हैं। जब भरोसा अल्लाह पर से उठ जाता है तो मुसीबतें भी ज़्यादा आती हैं और आप उन मुसीबतों से निकल नहीं पाते। इसलिए चाहे जितना ज़ुल्म हो जाये जितनी आफ़तें आ जाये हमें अल्लाह पर हमेशा भरोसा रखना चाहिए।

दूसरी कहानी (बगीचों वाले अमीर आदमी की कहानी)

ये कहानी ऐसे आदमी की थी जिसके पास 2 बहुत बड़े बड़े बगीचे थे जो बहुत अमीर था जिसके पास सबकुछ था लेकिन उनसे अल्लाह का कभी शुक्र अदा नहीं किया। जिसकी वजह से एक दिन उसके दोनों बगीचे बर्बाद हो गए। इस कहानी से ये सबक मिलता हैं की जब अल्लाह हमें दौलत से नवाज़ता हैं तो हमें उसका शुक्र अदा करते रहने चाहिए।

तीसरी कहानी (हज़रत मूसा और बुद्धिमान व्यक्ति की कहानी)

इस कहानी के मुताबिक एक बार हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम इसराइल बनी इसराइल यानि इसराइल के बच्चो को कुछ बता रहे थे तभी किसी बच्चे ने आपसे पूछा की सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कौन हैं? तब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने अपना खुद का ज़िक्र किया और कहा की मैं सबसे बुद्धिमान और विद्वान व्यक्ति हूँ। अल्लाह को मूसा की ये बात बहुत बुरी लगी। अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से कहा की तूने अल्लाह का ज़िक्र नहीं किया और सीधे अपना नाम बता दिया क्यूंकि सिर्फ अल्लाह ही जानता हैं की सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कौन हैं? उसके बाद अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को जहाँ दो समुन्दर का संगम होता हैं वहां जाने का हुक्म दिया और कहा की वहां पर यानि उस जगह पर तुझे सबसे बुद्धिमान मिलेगा जो तेरे से भी ज़्यादा बुद्धिमान और काबिल हैं। उस बुद्धिमान व्यक्ति का नाम अल-खिद्र था। जो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से उस जगह पर मिला था। 

इस कहानी से ये सबक मिलता हैं की भले ही आपके पास ज्ञान हो लेकिन उस ज्ञान का आपको घमंड नहीं होना चाहिए क्यूंकि कोई दूसरा व्यक्ति आपसे ज़्यादा काबिल और बुद्धिमान हो सकता हैं।

चौथी कहानी (राजा धुल क़रनैन की कहानी)

चौथी और आखरी कहानी एक राजा की हैं जिसका नाम धुल क़रनैन था जिसने लोगो की भलाई और ज़रूरतमंद लोगो की मदद के लिए दुनिया भर का सफर किया वे जहाँ भी गए वहां उन्होंने अच्छाई फैलाई उन्होंने लोगो को गोग और मागोग नामक जनजाति से लोगों को आज़ाद करवाया था।

इस तरह इन चार कहानियों का ज़िक्र सूरह कहफ़ में आया हैं आप अगर इन कहानियों को तफ्सील से पढ़ना चाहते हे तो आप सूरह कहफ़ पढ़े और इन कहानियों को पढ़ने के बाद अपनी ज़िन्दगी को अल्लाह के बताये रास्तों के मुताबिक सुधारे।

सूरह कहफ़ पढ़ने के फायदे और उसकी फ़ज़ीलत 

  • जो शख्स हर जुमा को सूरह कहफ़ पढ़ेगा वह दज्जाल के फितना मतलब उसके विनाश से महफूज़ रहेगा। 
  • हर जुमा की नमाज़ के बाद सूरह कहफ़ पढ़ने से अल्लाह उस शख्स के गुनाहों को माफ़ कर देता हैं। 
  • हर जुमा को सूरह कहफ़ पढ़ने से घर में गरीबी नहीं आती और घर के माल की हिफाज़त रहती हैं। 
  • हर जुमा को सूरह कहफ़ पढ़ने से चेहरे पर एक नूर रहता हैं जो अगले जुमा तक रहता हैं। 
  • सूरह कहफ़ पढ़ने वाला शख्स को दुनिया में बहुत कामयाबी हासिल होगी यानि कामयाबी उस शख्स के कदम चूमेगी। 
  • सूरह कहफ़ हमें अल्लाह के बताये रास्तों पर चलने के लिए प्रेरित करता हैं। 
  • सूरह कहफ़ पढ़ने वाले शख्स के कारोबार में बहुत बरकत रहती हैं इसलिए कारोबार में बरकत के लिए सूरह कहफ़ पाबन्दी से पढ़ना चाहिए। 
  • सूरह कहफ़ से हमारे दिल को सुकून मिलता हैं जिसकी फ़ज़ीलत से हम हर तरह की परेशानियों से महफूज़ रहते हैं और हमारे दिल में किसी तरह की गलत बात नहीं आती। 
  • सूरह कहफ़ पढ़ने से मुसलमानो का ईमान हमेशा मज़बूत रहता हैं। 
  • जिन लोगों में विश्वास यानि कॉन्फिडेंस की कमी होती हैं उन्हें चाहिए की सूरह कहफ़ पाबन्दी से पढ़े जिसकी बरकत से वह किसी भी काम को करने या शुरू करने से कभी घबराएंगे नहीं। 
  • सूरह कहफ़ शख्स को अल्लाह के करीब लाती हैं जिससे हर वक़्त शख्स की हिफाज़त रहती हैं और अल्लाह हर वक़्त उसके करीब रहता हैं।

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