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सदक़ा और खैरात क्या हैं? (What is Sadqa and khairat)

सदक़ा और खैरात क्या हैं? (What is Sadqa and khairat)

ज़कात फ़ितरा के अलावा नफ्ली तौर पर इबादत की नियत से अल्लाह की रज़ा के लिए अल्लाह के बन्दों के लिए हम जो कुछ खर्च करते हैं, उसे सदक़ा खैरात कहा जाता हैं। यही नहीं बल्कि इस्लाम में तो तकलीफ पहुँचाने वाली किसी चीज़ को रास्ते से हटा देने को भी सदक़ा कहा जाता है। सदक़ा की तौफीक बन्दों के लिए एक इनाम हैं। क्यूंकि इस की बरकत से अल्लाह पाक हमें बहुत सारी बलाओं से महफूज़ रखता हैं, बचाता हैं, हमारी हिफाज़त फरमाता हैं। यही नहीं बल्कि इससे बन्दे के गुनाह भी माफ़ हो जाया करते हैं। अल्लाह के रसूल पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया सदक़ा इस तरह गुनाहो को बुझा देता हैं जिस तरह पानी आग को बुझा देती हैं।

अल्लाह की दी हुई रोज़ी और दौलत को दुसरो पर खर्च करना कोई मामूली या आसान काम नहीं बल्कि बड़े दिल गुर्दे की बात हैं। आदमी के खुद के इतने काम और ज़िम्मेदारियां हैं की उन्हें पूरा करना आज के इस महंगाई के दौर में कितना बड़ा काम हैं। फिर उसके ऊपर गरीब मजबूरो की और मदद करना ये और बड़ी बात हैं। आदमी अगर हिम्मत करके यह नेक काम कर गुज़रता हैं, और लगातार करते रहता हैं तो उसके बदले अल्लाह पाक उसकी भी सारी ज़रूरते पूरी फरमाता हैं। और अल्लाह पाक उसकी इतनी मदद करता हैं जितनी मदद शायद ही उस शख्स ने कभी सोची होगी और सबसे बड़ी बात तो यह हैं की मौत के वक़्त उसकी रूह बड़ी आसानी से कब्ज़ हो जाती हैं। और मरने के बाद अल्लाह के दरबार में पेशी के मौके पर अल्लाह पाक उससे राज़ी होगा।

हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं एक गुनहग़ार औरत थी। वह एक कुएं से गुज़रने लगी तो वहां एक कुत्ता बैठा था, जो प्यास के मारे मरने जैसा हो रहा था। औरत को उसकी हालत पर तरस आ गया। वह रुक गई। किसी तरह बड़ी मशक्कत(मेहनत) से उस औरत ने कुँए में से पानी निकाला, और उस कुत्ते की प्यास बुझाई। अल्लाह को उस गुनहग़ार औरत की यह बात इतनी पसंद आयी की इस सदके के बदले अल्लाह पाक ने उसके सारे गुनाहो को माफ़ करके उसे बख्श दिया।

अल्लाह की बनायीं हर मखलूक चाहे इंसान हो या जानवर के काम आना, उनकी ज़रूरते पूरी करना भी एक सदक़ा हैं। इस्लाम में इसे भी इबादत का दर्जा दिया गया हैं। इसीलिए अल्लाह के रसूल ने मुसलमानो को दुखियो के काम आने उनकी मदद करने की ताकीद फ़रमाई हैं। हज़रत अबू सईद खुदरी रदियल्लाहो अन्हो का बयान हैं की अल्लाह के रसूल पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो आदमी अपने किसी भाई को जिस के बदन पर ज़रूरत के मुताबिक कपड़ा न हो, उसे कपड़ा पहनायेगा या देगा। अल्लाह पाक उसे जन्नत का हर जोड़ा पहनायेगा। और जो किसी भूके भाई को खाना खिलायेगा अल्लाह पाक उसे जन्नत के मेवे खिलायेगा। जो किसी प्यासे को पानी पिलायेगा अल्लाह पाक उसे जन्नत का मोहर बंद शरबत पिलायेगा।

आजकल के लोग बस पैसा जमा करने में लगे हैं। एक रुपया गरीबो पर खर्च करने में दस बार सोचते हैं। लाखो रूपए कमाते हैं मगर अल्लाह की राह में खर्च करने में कतराते हैं। वह सोचते हैं की ये जमा पैसा ज़िन्दगी और अच्छी जीने में काम आएगा। सोचो अगर ज़िन्दगी ही न रहे या किसी खतरनाक बीमारी में ही वह सारा पैसा मिनटों में खत्म हो जाये, यह बात कोई नहीं सोचता। खैर क्या हमने कभी सोचा अल्लाह पाक हमारी हर छोटी छोटी ज़रूरते पूरी फरमाता रहता हैं। हमें पानी देता हैं, खाना देता हैं, साँस लेने के लिए हवा देता हैं, जिससे हम ज़िंदा हैं। अगर अल्लाह चाहे तो एक पल में बारिश बंद कर दे, जिससे नदी तालाब सुख जाये और खाना-पानी मिलना बंद हो जाये लेकिन अल्लाह पाक ने कभी ऐसा कुछ नहीं किया क्यूंकि वो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला हैं। इसी तरह इंसान को भी सोचना चाहिए की अगर खुदा हमे इतना दे रहा हैं तो हम उसके बन्दों को कुछ देने में क्यों पीछे रहे। अगर हम अपने रब की रज़ा के लिए किसी की मदद करेंगे तो हमारा रब भी बहुत खुश होगा और हमें हमेशा दुनिया और आख़िरत की नेअमते अता फरमाता रहेगा।

इंसान की यह सोच गलत हैं की हम जो कमाते हैं, वह सब हमारा ही हैं। ये सोचो की हमें ऊपर वाला रिज़्क़ दे रहा हैं अगर वो बंद कर दिया तो क्या होगा। हमें चाहिए की हम सब का हक़ अदा करने की कोशिश करे। अल्लाह के प्यारे रसूल पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया किसान खेती करता हैं, उसकी फसल में से बहुत से दाने परिंदे चरिन्दे खा जाते हैं। इससे किसान को मायूस नहीं होना चाहिए क्यूंकि जो कुछ जानवर खा जाते हैं। उसके बदले किसान को सदके का सवाब मिलता हैं। जो बहुत बड़ी बात हैं, इसलिए हमें सदक़ा खैरात करते रहना चाहिए। अल्लाह पाक हम सब को सदक़ा खैरात करने की तौफीक अता फरमाए  आमीन । 

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